किसानों को पसंद आ रही यूकेलिप्टस की खेती

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किसानों को पसंद आ रही यूकेलिप्टस की खेतीचित्रकूट के चांदी गाँव में दर्जन भर से ज्यादा किसान कर रहे हैं यूकेलिप्टस की खेती।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: डॉ. प्रभाकर सिंह

पहाड़ी (चित्रकूट)। पानी की कमी और सूखे से परेशान किसानों ने अब नया तरीका अपना लिया है, जिसमें कम पानी भी लगता है और कमाई भी अधिक होती है। चित्रकूट जिले के पहाड़ी ब्लॉक के चांदी गाँव के एक दर्जन से भी अधिक किसानों ने यूकेलिप्टस के पौधे लगाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। वहीं, यूकेलिप्टस के पेड़ पर रहने वाले पक्षी खेती के दुश्मन कीट, पतंगों, चूहों वगैरह को खा कर फसल की रक्षा करते हैं।

अलग से सिंचाई व खाद देने की जरूरत नहीं

चांदी गाँव के पूर्व प्रधान दयाशंकर (45 वर्ष) ने तीन बीघा में यूकेलिप्टस लगाया है। दयाशंकर बताते हैं, "हमारी तरफ सिंचाई की बहुत समस्या होती है, खेती भी नहीं हो पाती है। इससे बचने के लिए हमने यूकेलिप्टस की खेती शुरू कर दी है।" वो आगे बताते हैं, " खेत की मेड़ों पर लगाए गए यूकेलिप्टस के पौधों को अलग से सिंचाई व खाद देने की जरूरत नहीं होती है।

क्या कहते हैं किसान

चांदी गाँव के ज्यादातर किसानों ने अब यूकेलिप्टस के पौधे लगा लिये हैं। यूकेलिप्टस के पौधे खेत की मेड़ों पर दो मीटर की दूरी पर लगा दिया है। गाँव की ही फूला देवी ने भी यूकेलिप्टस की खेती शुरू कर दी है। वो बताती हैं, "मेरे पति बाहर नौकरी करते हैं और खेती मैं अकेले नहीं कर पाती हूं। ऐसे में यूकेलिप्टस की खेती में लागत भी कम लगती है और अच्छी कमाई भी हो जाएगी।" वो आगे कहती हैं, "बेटियों की शादी भी करनी है, शादी करने तक पेड़ बेचने के लिए तैयार हो जाएंगे। इससे बिना कोई मेहनत किये ही अच्छी कमाई हो जाएगी।"

एक हेक्टेयर खेत में लगा सकते हैं 500 पौधे

अगर खेत के अंदर ये पौधे लगा रहे हैं तो बंजर या कम उपजाऊ वाली जमीन पर यूकेलिप्टस की सघन रोपाई 2-2.5 मीटर के अंतर पर करते हैं। इसकी लाइनों के बीच दो साल तक खेती की जा सकती है। इससे कम उपजाऊ जमीन पर भी अच्छा फायदा मिलता है। एक हेक्टेयर खेत में 500 यूकेलिप्टस पौधे लगा सकते हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

 

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