प्रियांशु तोमर/स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
पीलीभीत। जिले को पूरी तरह से जैविक जिला बनाने की तैयारी की जा रही है, जिसकी तैयारी के प्रथम चरण में जिले के सात ब्लॉकों में पांच-पांच गाँव चयनित कर जैविक क्लस्टर बनाए जा रहे हैं। प्रत्येक चयनित गाँव में 50-50 किसानों से एक-एक एकड़ भूमि पर जैविक खेती कराई जाएगी।
तीन साल की इस योजना में किसान को वर्मी कंपोस्ट बनाने से लेकर फसल सुरक्षा तक का पूरा प्रशिक्षण दिया जाएगा और ऐसे किसानों के खाते में प्रोत्साहन राशि भी सरकार द्वारा सीधे भेजी जाएगी। आगामी अक्टूबर माह में इस योजना का विधिवत शुभारंभ किया जाएगा। वैसे भी जनपद में विभिन्न स्थानों पर प्रगतिशील किसान जैविक खाद तैयार कर अपनी फसलों में प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन अधिकतर किसानों में इस बात की गलत धारणा बनी है कि रासायनिक उर्वरक व कीटनाशक के प्रयोग की अपेक्षाकृत जैविक खादों के प्रयोग से फसलों का उत्पादन कम होता है।
इस बारे में जब कुरैया कलां गाँव के प्रगतिशील किसान रामअवतार मौर्य (55 वर्ष) बताते हैं, “ऐसा कुछ नहीं है मैं पिछले 20 साल से अपने खेतों में जैविक व वर्मी कंपोस्ट खाद का प्रयोग करता हूं। जिनके प्रयोग से फसलों का उत्पादन कम नहीं बल्कि ज्यादा होता है। जैविक खादों से तैयार फसलों का मूल्य भी रासायनिक खादों से तैयार की गई फसलों से ज्यादा मिलता है।”
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जिले में करीब डेढ़ हजार छोटी-छोटी जोत वाली महिला किसान भी पहले से ही जैविक विधि से साग-सब्जियों व मशरूम आदि की खेती कर रही हैं। पूरनपुर ब्लॉक में पचपेड़ा गौशाला पर वहां के प्रबंधक द्वारा कंपोस्ट खाद तैयार की जा रही है। जिसके प्रयोग से जैविक विधि द्वारा फसलें पैदा की जा रही हैं। अब इस सरकारी योजना के जरिए हर विकासखंड के 250 किसानों से 250 एकड़ भूमि पर जैविक खेती कराने की तैयारी चल रही है। अगले तीन साल में इन 250 किसानों को पूरी तरह जैविक किसान बनाने की तैयारी है। ताकि जिसकी देखा-देखी अन्य किसान भी रासायनिक खादों व कीटनाशकों का मोह त्याग कर जैविक खेती की तरफ इनका रुझान हो सके।
जनपद पीलीभीत में 2.30 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती हो रही है। जिसमें 80 हजार हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की फसल पैदा की गई है। फिलहाल प्रथम चरण में गन्ने की फसल को इस अभियान से दूर रखा गया है।
एशिया के सबसे बड़े ब्लॉक पूरनपुर के गाँव गुनहान, जरा बुजुर्ग, गुलड़िया खास, पिपरिया करम, रमनगरा गाँव के 50 किसानों का चयन भी कर लिया गया है। जिनके यहां एक-एक एकड़ भूमि पर जैविक खेती करवाने की तैयारी चल रही है।
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सोलर पंप के लिए मिलेगी सब्सिडी
उप कृषि निदेशक डॉक्टर डीबी सिंह इस योजना के बारे में बताते हैं, “प्रत्येक किसान को अपने खेत में ही वर्मी बेड बनाना होगा। जिसमें केंचुआ खाद तैयार कराई जाएगी। इसके लिए सरकार द्वारा 5000 रुपये की प्रोत्साहन राशि सीधे किसान के खाते में भेज दी जाएगी। इसके अलावा हरी खाद के लिए ढैंचा के बीज पर भी 500 रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। नीम व गोमूत्र आदि से तैयार किए जाने वाले पेस्टीसाइड बायो ऑर्गेनिक बीज व मेड़बंदी तक के लिए अलग-अलग किसानों को प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।”
“जैविक खाद द्वारा तैयार किए गए खेतों में रासायनिक खादों व पेस्टीसाइड का पानी न घुस सके व नाइट्रोजन के स्थायीकरण के लिए खेत के किनारे-किनारे नीम व सिसबेनिया जैसे पौधे भी लगाए जाएंगे। लगातार इन खेतों की मिट्टी की भी हर फसल के बाद जांच कराई जाएगी और जिन तत्वों की कमी भूमि में पाए जाएगी उसकी भरपाई भी जैविक विधि से तैयार खादों से ही कराई जाएगी। तीसरे साल इसमें पैकिंग व ट्रांसपोर्टिंग पर भी सरकार द्वारा सब्सिडी मिलेगी। इस प्रकार अगर किसान सोलर पंप से सिंचाई करते हैं तो उनकी खेती जीरो बजट हो जाएगी। इस योजना के तहत गेहूं, धान, सरसों, मसूर, तोरई आदि फसलों को रखा गया है।” उप कृषि निदेशक डॉक्टर डीबी सिंह ने आगे बताया।
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