सरकारी नलकूप कहीं महीनें से बंद पड़े हैं, कहीं टूटी नालियों से खेतों तक नहीं पहुंचता है पानी

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   27 Feb 2017 5:06 PM GMT

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सरकारी नलकूप कहीं महीनें से बंद पड़े हैं, कहीं टूटी नालियों से खेतों तक नहीं पहुंचता है पानीसरकारी नलकूपों की स्थिति बेहद खराब, सुधार के लिए भी कोई प्रयास नहीं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। ऐसे क्षेत्रों में जहां सिंचाई के लिए कोई नहर या अन्य जलीय स्रोत नहीं है, वहां सिंचाई को किसानों के लिए आसान बानाने के लिए सिंचाई विभाग ने नलकूप तो बनवाए, लेकिन ये नलकूप पिछले कई महीनों से खराब पड़े हैं। इनके सुधार के लिए कोई प्रयास भी नहीं किया जा रहा है।

“पंचायत में दो राजकीय नलकूप हैं। एक नलकूप से अल्दमपुर, विशम्भरखेड़ा, भवानीपुर, रघुनाथ पुर, शुक्लनपुरवा जैसे पांच गाँवों की सिंचाई और दूसरे नलकूप से चार अन्य गाँवों भवानीपुर, हेमी, भागताखेड़ा, जलालपुर में सिंचाई की जाती है। इसकी शिकायत कई बार तहसील में की गयी, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ।” यह दुख बयां किया किसान अतुल शुक्ल (26 वर्षीय) ने। वह जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर बीकेटी तहसील के अलदमपुर पंचायत में 10 बीघे में खेती कर रहे हैं।

अलदमपुर पंचायत में लगभग 200 एकड़ ज़मीन की सिंचाई दो सरकारी नलकूपों पर आश्रित है, लेकिन सिंचाई नलकूप खराब होने से रबी फसल में इन किसानों की सिंचाई की लागत बढ़ रही है। किसान को गेहूं की फसल में लगभग पांच से छह सिंचाई करनी पड़ती है| किसान को एक बार खेत की सिंचाई करने के लिए एक एकड़ में लगभग 3000 रुपये की लागत आती है। इस प्रकार गेहूं की एक फसल में किसान की लगभग 18,000 रुपए की लागत पड़ती है।

अलदमपुर पंचायत की ये 200 एकड़ ज़मीन एक आइना है, उस 10 लाख हेक्टेयर ज़मीन की स्थिति जानने का जो प्रदेशभर में लगे लगभग 32,000 सरकारी नलकूपों पर सिंचाई के लिए आश्रित हैं।

रायबरेली जिले के सकतपुर गाँव के नन्हे लाल (52 वर्ष) लगभग आठ बीघे खेत में उड़द उगाते हैं। पिछले दो वर्षों से गाँव में लगे सरकारी नलकूप के बिगड़ जाने से उन्हें अपने खेत की सिंचाई किराए का पंप लेकर करनी पड़ती है। इसमें उनके काफी रुपए खर्च हो जाते हैं। हमने इसकी शिकायत कई बार ब्लॉक में की है, लेकिन अफसरों पर इसका कोई भी फर्क नहीं पड़ता है।” गाँव जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर है।

रायबरेली जिले में किसानों को बेहतर सिंचाई व्यवस्था प्रदान करने के लिए जिला नलकूप विभाग द्वारा 380 नलकूप लगवाए गए हैं, लेकिन इनमें से आधे से ज्यादा नलकूप खराब पड़े हैं। जिले में इस वर्ष नलकूपों के ज़रिए करीब 1620 हेक्टेयर क्षेत्रफल कृषि भूमि पर सिंचाई करने का लक्ष्य रखा गया है। मगर नलकूपों की मौजूदा स्थिति देखते हुए इस लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल लग रहा है।

इस बारे में जिला नलकूप विभाग, रायबरेली के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार बताते हैं,”जिले में नलकूपों की बदहाली लगभग सभी ब्लॉकों में एक जैसी है। एक नलकूप चलाने के लिए 380 वोल्ट बिजली की ज़रुरत होती है पर ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ 200 से 250 वोल्ट बिजली ही मिलती है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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