गोरखपुर में चल रहे चकबंदी में किसानों ने लगाया मनमानी का आरोप

Jitendra TiwariJitendra Tiwari   5 Jun 2017 5:40 PM GMT

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गोरखपुर में चल रहे चकबंदी में किसानों ने लगाया मनमानी का आरोपखड़ेसरी गांव पहुंची चकबंदी टीम से वार्ता करते किसान।

जितेंद्र तिवारी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गोरखपुर। अफसरों की मनमानी के चलते चकबंदी को लेकर तीन पीढिय़ां गुजर गईं, लेकिन चकबंदी का कार्य पूरा नहीं हो सका है। चकबंदी के चक्कर में दादा भी जीवन भर परेशान रहे, अब नाती-पोते भी परेशान हैं। अफसरों के मनमानी रवैये से परेशान किसान शासन-प्रशासन से लगातार गुहार लगाते आ रहे हैं, वहीं कुछ किसान हाईकोर्ट की भी शरण में जा चुके हैं। फिलहाल किसानों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। चकबंदी विभाग की ओर किसानों के उल्टे-सीधे चक आवंटित हो रहे हैं। जिसके चलते लोगों में काफी आक्रोश है।

दरअसल, गोला तहसील के बड़हलगंज ब्लॉक अंतर्गत खड़ेसरी ग्राम पंचायत में चकबंदी निर्धारण की प्रक्रिया चल रही है। वर्ष 1995 में खड़ेसरी गांव का मालियत निर्धारित किया गया, उस समय यह कृषि योग्य भूमि थी। अब परिस्थिति बदल चुकी हैं। नगर पंचायत बड़हलगंज से खड़ेसरी गांव करीब-करीब जुड़ गया है। इसके अलावा गांव में ही मेडिकल कॉलेज शुरू हो गया है और फोरलेन भी प्रस्तावित है। जबकि चकबंदी अधिकारी वर्ष 1995 के मालियत के अनुसार 2015 में चक निर्धारण की प्रक्रिया अपनाना शुरू की गई है। इसको लेकर किसानों में काफी रोष है।

खड़ेसरी गांव का निरीक्षण कर मौके पर जाकर स्थिति को देखी गई और काश्तकारों से बात भी की गई है। चकबंदी में किसी भी किसान के साथ अन्याय नहीं होगा। चकबंदी के कार्य में किसी प्रकार का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पंकज श्रीवास्तव, सीओ चकबंदी

किसानों ने एक चकबंदी अधिकारी पर मिलीभगत की बात करते हुए घपलेबाजी का भी आरोप लगाया है। फिलहाल किसानों ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है, जिसपर संज्ञान लेते हुए डीएम ने तत्काल प्रभाव से चकबंदी निर्धारण की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। किसानों का कहना है कि अगर समय रहते उनकी मांगों को माना नहीं गया तो शीघ्र ही वे लोग सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर पूरे मामले से अवगत कराएंगे और पूरे मामले की पोल पट्टी खोलेंगे।

किसानों के विरोध का करना पड़ा सामना

बडहलगंज ब्लॉक के राजस्व गांव खड़ेसरी ऐतमाली में बीते 25 वर्षों से चकबंदी की प्रकिया आधी अधूरी पड़ी थी। यहां पर बीते 25 मई को पैमाइश के लिए सीओ चकबंदी पंकज श्रीवास्तव कर्मचारीयों के साथ पहुंचे, जहां टीम को गांव वालों के विरोध का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों का कहना था कि आपत्तियों के बिना निस्तारण के पैमाइश नहीं होगी।

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काश्तकारों का आरोप था कि चक निर्धारण में भेदभाव किया जा रहा है। तमाम लोगों ने धन बल के बदौलत अपने मनमाफिक नंबर लगवा लिये हैं। जिसकी वजह से नदी की जमीन सडक़ पर और सडक़ की जमीन को दूर कर दिया गया है। कम मालियत की जमीन ज्यादा मालियत पर दे दी गई है। टीम का विरोध करने वालों में लालबाबू यादव, नन्दा, साधु निषाद, दिवाकर तिवारी, सुरेश यादव, झिनक सिंह, देवशरण आदि शामिल रहे।

बड़हलगंज ब्लॉक के खड़ेसरी निवासी एडवोकेट अनिल तिवारी (52वर्ष) ने बताया,“ अफसरों को चाहिए की बदले परिवेश के अनुसार जमीनों का मालियत निर्धारित कर चक निर्धारण करें। ताकि किसी का अहित न हो।” इसी ब्लॉक के खड़ेसरी निवासी जलेश्वर यादव (55वर्ष) ने बताया,“ चकबंदी अधिकारी जैसे-तैसे कोरमपूरा कर खानापूरी कर हैं। वे किसानों का अहित करने पर तुले हैं। ऐसे अफसरों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया जाएगा।”

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बड़हलगंज ब्लॉक के खड़ेसरी निवासी गोरख तिवारी (60वर्ष) ने बताया,“ चकबंदी विभाग के एक अधिकारी ने साजिश के तहत किसानों को तबाह कर दिया है। अगर न्याय नहीं मिला तो अनशन किया जाएगा। ” ब्लॉक के दुबौली निवासी दिनेश दुबे ( 45वर्ष) ने बताया,“ अगर चक निर्धारण की प्रक्रिया में गलतियों को नहीं सुधारा गया तो शीघ्र ही सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलकर शिकायत की जाएगी।”

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