मजदूरी कर लड़कियों को पढ़ा रही फूलमती

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मजदूरी कर लड़कियों को पढ़ा रही फूलमतीफूलमती अपने दोनों बेटियों का उठा रही हैं पढ़ाई का खर्चा।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: अनिकेत वर्मा

कक्षा 12, न्यू जय हिन्द इंटर कालेज विशुनपुर, बाराबंकी।

विशुनपुर (बाराबंकी)। कोमल है, कमजोर नहीं, शक्ति का नाम ही नारी है...। यह साबित कर दिखाया है मुन्नूपुरवा की फूलमती ने, जो पति की बीमारी के बाद अपने घर की जिम्मेदारियों का बोझ उठाने के साथ अपनी लड़कियों को भी पढ़ा रही हैं।

मजदूरी करके परिवार का चला रहीं खर्च

बाराबंकी मुख्यालय से 18 किमी दूर देवा ब्लॉक के मुन्नूपुरवा मजरे पवैयाबाद की रहने वाली फूलमती के पास जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं है। फिर भी दूसरों के खेतों में मेहनत-मजदूरी करके परिवार का खर्च चलाती हैं। इसके साथ ही अपनी दो लड़कियों को भी पढ़ा रही हैं। फूलमती के घर में पांच सदस्य हैं। पति-पत्नी, एक लड़का और दो लड़कियां। आर्थिक अभाव के कारण फूलमती अपने लड़के को अपने मायके में छोड़ आयी हैं। फूलमती के भाई लड़के की पढ़ाई का खर्च उठा रहे हैं।

लड़कियों की पढ़ाई की उठाई जिम्मेदारी

बाकी बची दो लड़कियों की शिक्षा की जिम्मेदारी फूलमती ने अपने हाथों में ले ली। फूलमती के पति अक्सर बीमार रहते हैं, जिससे घर की पूरी जिम्मेदारी का भार स्वयं फूलमती के कंधो पर है। फूलमती बताती हैं, "हमें किसी प्रकार का सरकारी लाभ नहीं मिलता। केवल सरकार की तरफ से राशन मिल जाता है। दूसरों के खेत में मजदूरी करके अपने परिवार का खर्च चलाती हूं। साथ ही अपनी लड़कियों की फीस भी भरती हूं।" फूलमती आगे बताती हैं, "हम लड़कों और लड़कियों में कोई अंतर नहीं समझते। हम अपनी लड़कियों को अपने पैरों पर खड़ा देखना चाहते हैं।" फूलमती आगे बताती हैं, "हम अपनी लड़कियों से किसी प्रकार का काम भी नहीं करवाते हैं ताकि वे अच्छी पढ़ाई कर सकें। जब लड़कियां पढ़ कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाएंगी तो हमारी गरीबी दूर हो जाएगी।" इस कार्य से पूरे क्षेत्र में फूलमती की सराहना हो रही है। यदि फूलमती जैसा समाज का हर नागरिक सोचने लगे तो एक भी लड़की शिक्षा से वंचित नहीं रह जायेगी।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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