किसानों ने दे दी जमीन मगर सात वर्षों से नहीं आया नहर में पानी

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किसानों ने दे दी जमीन मगर सात वर्षों से नहीं आया नहर में पानीप्रतीकात्मक फोटो।

कम्यूनिटी जनर्लिस्ट: नईम अशरफ

कक्षा-11, रईस अहमद इंटर कॉलेज, इटवा, सिद्धार्थनगर

बांसी (सिद्धार्थनगर)। सात वर्ष पहले जब गाँव में नहर की खुदाई शुरू हुई तो दर्जनों किसानों ने अपनी ज़मीन दे दी, लेकिन आज तक नहर में पानी न पाया, जिससे किसान ख़ुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

डीजल इंजन से सिंचाई करने को मजबूर किसान

ज़िले के बांसी ब्लॉक में वर्ष 2007-08 में सरयू नहर खंड तृतीय द्वारा सुनौहा स्थित मुख्य शाखा से सड़क पार तक डेढ़ किमी तक माइनर खोदी गयी थी। किसानों ने अपनी उपजाऊ जमीन भी नहर के लिए दे दी थी। सोनौरा गाँव के रमाकांत मिश्रा (45 वर्ष) बताते हैं, "सात साल हो गए नहर को खोदे हुए, लेकिन पानी आज तक नहीं आया। हर बार यही होता है कि इस बार पानी आ जाएगा, लेकिन आता नहीं। मज़बूरन हमें डीजल इंजन के भरोसे सिंचाई करनी पड़ती है, जो बहुत महंगी पड़ती है।" वो आगे कहते हैं, "जिनका अपना खुद का इंजन है, उनका ठीक है, लेकिन किराए हम लोगों को बहुत महंगा पड़ जाता है।"

किसानों ने बड़ी उम्मीद से दी थी जमीन

माइनर में सोनौरा, पुरउआ ताल, तिकुइआ, बिछिया, मुड़िया, धुसवा जैसे दर्जनों गाँव के किसानों की कीमती जमीन चली गयी थी, किसानों ने इस उम्मीद में जमीन दी थी कि सिंचाई का बेहतर साधन हो जाएगा। गाँव के भगवान दास कहते हैं, "नहर रहते हुए भी हर बार हज़ारों रुपये सिर्फ़ सिंचाई में ही चला जाता है, कोई हम किसानों की नहीं सुनने वाला है। हर बात जब बुवाई के समय यही होता है कि इस बार पानी आ जाएगा, लेकिन आता नहीं है। धान तो किसी तरह बारिश के पानी में बो दिया गया था, लेकिन गेहूं का फिर वही हाल होगा।"

मुझे इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है, अगर ऐसा है तो जल्द ही विभाग से बात कर नहर की सफाई कराई जाएगी और नहर में पानी छोड़ा जाएगा।
आरवी राम, तहसीलदार

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

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