ललितपुर में वन विभाग ने उजाड़ी वनवासियों की झोपड़ियां 

Swayam Project

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

ललितपुर। जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर पाली तहसील के बालाबेहट के ग्राम बडयाबारा और कछयाहार में तीन दिन पहले वन विभाग के कर्मचारियों ने सहरिया आदिवासियों की झुग्गी-झोपड़ियों को तहस नहस कर दिया।

यहां तक कि उन्होंने झुग्गी-झोपड़ियां खाली करने का कोई अल्टीमेटम या सार्वजनिक घोषणा तक नहीं की। अब इन आदिवासियों के सैकड़ों परिवार बेघर हो गये है। इन जैसे सैकड़ों सहरिया कई दशकों से इस जमीन पर काबिज हैं और वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत उनका दावा विचाराधीन है।

वन विभाग के रवैये के चलते सहरिया जन अधिकार मंच के तत्वावधान में बिरधा ब्लाक के बालाबेहट, कछयाहार, बरैना, महौली, दावर, पिपरौनियां, मुडारी, वांसपुरा, कपासी, बिजौरी, पिपरई, धौर्रा, ब्लाँक महरौनी, मडावरा व जखौरा सहित सैकड़ों सहरिया उत्पीड़न के विरोध में तवन मंदिर में प्रांगण में एकत्र हुए। जुलूस लेकर घंटाघर होते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे, जहां पर प्रदर्शन किया।

झोपड़ियां उजाड़े जाने के विरोध में प्रदर्शन करते सहरिया जन अधिकार मंच के लोग। 

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राधा सहरिया (36 वर्ष) ने बताया, “जैसे-तैसे बरसात के पहले खाने पीने का प्रबंध करते हैं और झोपडियों की मरम्मत करते हैं, लेकिन वन विभाग ने बिना बताए हमारी झोपड़ियां उजाड़ दीं।” सहरिया जन अधिकार मंच के अध्यक्ष वीरेन्द्र सहरिया (45 वर्ष) ने बताया, “वन विभाग पिछले कई वर्षों से लगातार बरसात के ठीक पहले हम सहरियाओं की झुग्गी बस्तियों में आग लगाने, तोड़फोड़ करने व धमकाने सहित बेघर करने का काम करता है।” वहीं मुरली लाल जैन ने कहा, “वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत आदिवासियों को यह मालिकाना हक है जहां वह पीढियों से निवास करते चले आ रहे हैं।”

महेश प्रसाद दीक्षित सदर उपजिलाधिकारी ललितपुर को सहरियाओं ने ज्ञापन दिया, जिस पर आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा, “वन विभाग द्वारा की गई कार्यवाही जिलाधिकारी के आदेश से तत्काल रोकी जाएगी और समस्या का समाधान किया जाएगा।”

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