विकास को आईना दिखाती जर्जर ग्रामीण सड़के
गाँव कनेक्शन 30 Dec 2016 1:34 PM GMT

अरुण मिश्रा, कम्यूनिटी जर्नलिस्ट (27 वर्ष)
विशुनपुर (बाराबंकी)। वर्षों से बेकार पड़ी सड़कों से यह पता चल जाता है कि जमीनी स्तर पर कितना विकास हुआ है। दावे तो बहुत होते हैं लेकिन रिजल्ट शून्य ही रहता है।
बेहतर सड़कें ही विकास की पहली सीढ़ी मानी जाती है। लेकिन जमीनी हकीकत में क्षेत्र की ग्रामीण सड़कों की तस्वीर कुछ ऐसी बदतर है कि राहगीर जान हथेली पर रखकर इन सड़कों पर सफर करते हैं। वर्षों से सड़कों की मरम्मत की मांग के बावजूद अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। जिससें विकास के सरकारी दावे धरातल पर मात्र कोरे आश्वासन बन कर ही रह गए हैं और राहगीर जोखिम भरी सड़कों पर आवागमन को मजबूर हैं।
बाराबंकी मुख्यालय से 20 किमी दूर विशुनपुर कस्बे से जयजय राम पुरवा, कोटवा, बबुरहिया, पासिनपुरवा और बड़ी छेरिया को जोड़ने वाला करीब तीन किलोमीटर लंबी नहर पटरी संपर्क मार्ग वर्तमान में पूरी तरह गड्ढों में तब्दील है। जगदीश सोनी (53 वर्ष) बताते हैं, "दशकों से इस मार्ग की सुध नहीं ली गयी है। जबकि इस मार्ग पर प्रतिदिन सैंकड़ों छात्र और राहगीर सफ़र करते हैं। कई छात्र इनमें बने गहरे गड्ढों की चपेट में आकर घायल भी हो चुके हैं।" ग्रामीण अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से इस सड़क की मरम्मत की गुहार कर चुके हैं, लेकिन आज तक सड़क की हालत ज्यों की त्यों है।
गाँव को जाने का एक ही यही रास्ता है जो कई वर्षों से जर्जर पड़ा है जिससे आने-जाने में काफी परेशानी होती है। कई बार शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है।रूपेश वर्मा, कोटवा गाँव निवासी
"बबुरहिया निवासी प्रेमचंद्र वर्मा बताते हैं, "कई बार सम्बंधित विभाग से शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई जिससे राहगीरों खासकर बच्चों को काफी परेशानी होती है।" कोटवाकला निवासी अजय रावत ने कहा, "विशुनपुर से गाँव तक जाने वाला मार्ग काफी दिनों से जर्जर है जिससे कई बार लोग गिरकर चोटिल भी हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन सुध नहीं ले रहा है। यदि चुनाव से पहले रोड नहीं बनी तो चुनाव का बहिष्कार किया जायेगा।"
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