बाढ़ के बाद दोबारा बसे गाँवों में दूर हो रही पेयजल की समस्या
गाँव कनेक्शन 27 Oct 2016 5:38 PM GMT

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: प्रशांत श्रीवास्तव
बहराइच। घाघरा किनारे बसे गाँवों में पीने के पानी की समस्या को दूर करने के लिए बहराइच जिले के पंचशील डेवलपमेंट ट्रस्ट ग्रामीणों की मदद कर रहा है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से गोलागंज गाँव में आकर बसी कृष्णादेवी (46 वर्ष) के घर के आस-पास पीने के पानी का कोई भी ठौर ठिकाना नहीं था, लेकिन जब उनके घर पर संस्था की मदद से नया हेंडपंप लगवाया गया तो उन्हें बेहद खुशी हुई।
दोबारा बसे गाँवों में सबसे बड़ी परेशानी
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में करवाए गए इस कार्य के बारे में पंचशील संस्था के प्रमुख ध्रुव कुमार बताते हैं, ''बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से हट कर दोबारा बसे गाँवों में सबसे बड़ी परेशानी थी पीने के पानी की समस्या, जिसे दूर करने के लिए हमने गोलागंज ग्राम पंचायत के तिकड़ापुर और गोलागंज तटबंध चौराहा इलाकों में बसे नए घरों में हमने 10 हैंडपंप लगवाए। इससे ग्रामीणों को पीने का पानी आसानी से मिल रहा है।''
100 से ज्यादा तटीय गाँवों में कर चुकी है काम
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बसे लोगों को सहारा देने के लिए वर्ष 2003 में स्थापित पंचशील संस्था, अभी तक जिले के 100 से ज़्यादा तटीय गाँवों में काम कर चुकी है। यह संस्था बहराइच और श्रावस्ती जिलों में काम रही है।
एक लाख से ज्यादा परिवार हो जाते हैं बेघर
पंचशील संस्था द्वारा जारी की गई इम्पैक्ट स्टडी पुस्तक के मुताबिक, हर वर्ष घाघरा नदी में बाढ़ के कारण एक लाख से ज़्यादा परिवार बेघर हो जाते हैं। यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश में रह रहे परिवारों का 40 प्रतिशत है।
नदी की कटान से विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके इन गाँवों को प्रशासनिक तौर पर या पंचायती राज विभाग द्वारा किसी भी तरह की मदद नहीं दी गई है। हमने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में तबाह हो चुके 50 से ज़्यादा गाँवों को फिर से स्थापित किया है और अब उस गाँवों में लोग पहले से ज़्यादा खुश और सुरक्षित महसूस करते हैं।ध्रुव, प्रमुख, पंचशील संस्था
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