विभाग की अनदेखी के चलते कूड़ाघर में तब्दील हो गया श्रावस्ती जिले का ये बस स्टेशन

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विभाग की अनदेखी के चलते कूड़ाघर में तब्दील हो गया श्रावस्ती जिले का ये बस स्टेशनबस स्टेशन परिसर को निजी सवारी वाहन चालक स्टैंड के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

प्रशांत श्रीवास्तव- कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

श्रावस्ती। स्थानीय ब्लॉक मुख्यालय का प्रमुख गिलौला बस स्टेशन उपेक्षा के चलते कूड़ाघर में तब्दील हो गया है। निगम की बसों के परिसर में अंदर न जाने के चलते निजी सवारी वाहन हमेशा स्टेशन पर कब्जा जमाए रहते हैं। इससे बस स्टेशन के गेट पर हमेशा जाम की समस्या बनी रहती है।

श्रावस्ती से बहराइच जा रहे गिलौला निवासी लाल बहादुर (49 वर्ष) बताते हैं,'' हमारा गाँव बहराइच के चितौरा ब्लॉक में है और हम श्रावस्ती जिले में पिछले आठ वर्षों से सिंचाऊ विभाग में काम करते हैं। पहले इस स्टेशन के परिसर में निगम द्वारा बुकिंग, खिड़की, कैंटीन व कार्यालय भवन का निर्माण कराया गया था पर समय के साथ बस स्टेशन का कायाकल्प होने के बजाय यह और बदहाली के दौर में पहुंच गया है। स्टेशन पर हर तरफ कचरे के ढेर लगे रहते हैं। यहां साफ-सफाई का कोई नामों निशान तक नहीं है।''

करीब एक एकड़ में फैले इस स्टेशन परिसर में अब इतनी भी जगह नहीं हैं कि वहां पर सरकारी बसों को खड़ा किया जा सके। यहां हर रोज़ हज़ारों की संख्या में लोग गुज़रते हैं। स्टेशन से गाड़ियां लखनऊ, बाराबंकी, बहराइच और श्रावस्ती जिलों के कई इलाकों में जाती हैं। इसके बावजूद इस बस स्टेशन की हालत को सुधारने के लिए कोई भी विभागीय अधिकारी कदम नहीं बढ़ा रहा है।

बस अड्डे की बदहाली के बारे में स्टेशन पर तैनात क्षेत्रीय कर्मचारी जगदीश कुमार ने बताया कि स्टेशन परिसर को निजी सवारी वाहन चालक स्टैंड के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वहीं निगम की बसें अंदर जाने की जहमत न उठाकर हमेशा मुख्य मार्ग पर ही खड़ी रहती हैं। इससे मुख्य सड़क पर हमेशा जाम की समस्या बनी रहती है।

बस स्टेशन की दशा को सुधारने के लिए कई बार यहां के क्षेत्रीय नेताओं ने तमाम दावे किए, लेकिन स्टेशन की हालत दिन-प्रतिदिन बदहाल होता जा रहा है। वर्ष 2012 में श्रावस्ती जिले में आए अखिलेश यादव ने इस बस स्टेशन की हालत सुधारने, मुफ़्त बिजली, मुफ़्त पानी, गांव को शहर से जोड़ने जैसे वादे किए थे पर तब से इस दिशा में कोई भी काम नहीं हुआ है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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