बाराबंकी। देश में दालों की खपत के मुकाबले उसका उत्पादन पिछले कई दशक से कम हो रहा है। ऐसे में दलहनी फसलों को बढ़ावा देने और दाल उत्पादन को बढ़ाने को लेकर पिछले कई साल से सरकारी स्तर पर कई प्रयास चल रहे हैं लेकिन जानकारी के अभाव में इसका उल्टा असर हो रहा है।
इसी क्रम में जिला मुख्यालय मे 38 किलोमीटर उत्तर दिशा के सूरतगंज ब्लाक के ग्राम टांड़पुर तुरकौली में गाँव कनेक्शन के सहयोग से कृषि विभाग द्वारा आत्मा योजनान्तर्गत रबी उत्पादकता गोष्ठ का आयोजन कृषि विभाग की और से किया गया। जिसमें विकास खंड सूरतगंज के राजकीय बीज भण्डार प्रभारी सिद्धार्थ मिश्र ने किसानों को कृषि की उन्नत तकनीक, बीज भंडार पर उपलब्ध बीजों व् प्रजातियों के विषय में बताया। पादप रक्षा विशेषज्ञ वीरेंद्र कुमार ने रबी फसलों में लगने वाले रोगों व् कीटों के जैविक नियंत्रण की जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान ग्राम प्रधान तुरकौली सन्तोष कुमार तथा सैंकड़ो ग्रामीण उपस्थित रहे। कृषकों को कृषि साहित्य और लंच पैक भी वितरित किये गए।
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अभी कैसी है उत्पादकता
देश में हर साल लगभग 220 लाख टन दाल की जरुरत पड़ती है। जिसमें लगभग 20 से लेकर 22 प्रतिशत हिस्सा अरहर दाल का होता है। खासकर उत्तर भारत में अरहर दाल की खपत सबसे ज्यादा है। इस डिमांड को पूरा करने के लिए बाहर के देशों से अरहर की दाल को निर्यात करना पड़ता है।
पिछले कुछ सालों से दलहन की फसलों के क्षेत्रफल कम होने और जलवायु परिवर्तन के कारण देश में दलहन का उत्पादन कम हो रहा था, लेकिन सरकार और कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत से दलहन उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य तय हुआ। साल 2020 तक 24 मिलियन टन दाल दलहन उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करने पर जोर है। जिससे देश के हर व्यक्ति को 52 ग्राम दाल प्रतिदिन मिल सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व खाद्ध और कृषि संगठन के अनुसार प्रति व्यक्ति प्रतिदन 104 ग्राम दाल मिलनी चाहिए लेकिन भारत में लोगों को इतनी दाल नहीं मिल पा रही है।
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