फिर पॉलीथिन पर रोक लगाने की तैयारी में सरकार
Deepanshu Mishra 28 April 2017 10:37 PM GMT
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने एक बार फिर पॉलीथिन पर बैन लगाने की तैयारी शुरू कर दी है, इससे पहले भी सपा सरकार ने पॉलीथिन पर रोक लगाई थी, लेकिन यह रोक ज्यादा दिन प्रभावी नहीं हो सकी। उत्तर प्रदेश के ऊर्जामंत्री श्रीकांत शर्मा ने ट्वीट कर लिखा, ''महानगरों में पॉलीथिन इस्तेमाल के खिलाफ अभियान चलाये जाने चाहिए। पॉलीथिन से प्रदूषण फैलता है और नाले-नालियां भी चोक हो जाती हैं, जो गन्दगी की सबसे बड़ी वजह है। इसे जल्द खत्म करना चाहिए।''
देश-दुनिया से जुड़ी सभी बड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप
एक अनुमान के मुताबिक हर साल धरती पर 500 बिलियन से ज्यादा पॉलीथिन बैग्स इस्तेमाल में लाए जाते हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के अलावा पॉलीथिन बैग्स हर साल बड़ी संख्या में नदी-नालों से होते हुए समुद्र में मिल रहे हैं।
पॉलीथिन का उपयोग रोगों को देता है बढ़ावा
पॉलीथिन से फैली गंदगी पीलिया, डायरिया, हैजा जैसी बीमारियां फैल रही है। आज देशभर में 85 फीसदी से अधिक उत्पाद प्लास्टिक पैकिंग में ही आ रहे हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मुताबिक, सिर्फ पॉलीथिन ही नहीं, बल्कि रिसाइकिल किए गए रंगीन या सफेद प्लास्टिक के जार, कप या इस तरह के किसी भी उत्पाद में खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थ का सेवन स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। इनमें मौजूद बिसफिनोल नामक जहरीला पदार्थ बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है।
इस मामले में लखनऊ के नगर आयुक्त उदय राज सिंह बताते हैं, ''पॉलीथिन से नालों का पानी रुक जाता है, जिससे गंदा पानी सड़कों पर बहने लगता है। इसके अलावा जानवर भी पॉलीथिन खा लेते हैं, जिससे जानवर काफी बीमार हो जाते हैं। पॉलीथिन को रोकने के लिए जो भी अभियान चलाये जाते हैं उनमें नगर निगम केवल साथ रहता है, लेकिन उसे कार्रवाई करने का आदेश नहीं होता हैं। पॉलीथिन को रोकने के लिए अभियान चलाना बहुत जरूरी है, जिससे शहर काफी साफ़ हो सकता है।'' उन्होंने पॉलीथिन बनाने वाली कंपनियों पर रोक लगाने की बात भी की।
500 साल बाद हानिकारक अवयवों में टूट कर गलता है पॉलीथिन बैग्स
डॉ. भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के एनवायरमेंटल माइक्रो बायोलॉजी विभाग के हेड नवीन अरोरा इससे जुड़ी रिसर्च के बारे में बताते हैं कि पॉलीथिन प्लास्टिक से बनता है, जिसे कभी भी खत्म नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि पॉलीथिन बैग्स करीब 500 या 600 सालों में गलते हैं। कई बार तो ये एक हजार साल तक नहीं गलते। इससे बड़ा नुकसान यह होता है कि जब ये गलते हैं तो मिट्टी में कई तरह के हानिकारक रसायन छोड़ देते हैं जो बाद में नदी-नालों से होते हुए समुद्री जीव जंतुओं के लिए जानलेवा साबित होता है।
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।
More Stories