अजय कश्यप/ रामगोपाल वर्मा, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
रामसनेहीघाट (बाराबंकी)। प्रधानमंत्री के भारत स्वच्छ अभियान की कुछ जिम्मेदार लोग ही धाज्जियां उड़ा रहे हैं। ग्राम सभा मऊगोरपूर भी साफ-सफाई के मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार है।
यहां लोग आसपास फैली गंदगी के बीच जीने के लिए मजबूर हैं। यहां सरकारी हैंडपंपों के आसपास गंदा पानी भरा रहता है, लेकिन जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं देते। लिहाजा, लोगों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है।
जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर मऊगोरपूर गाँव स्थित है। इसी गाँव की निवासी कन्धई (35 वर्ष) बताती हैं, “नाली का पानी नल के पास भरा रहता है, जिससे पूरी गंदगी उसी सरकारी नल के पास इकट्ठा होती है।
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स्थानीय ग्राम प्रधान भी इसे साफ करवाने की कोशिश नहीं करते हैं।” इसी गाँव की रहने वाली पूनम गौतम (20 वर्ष) बताती हैं, “हमारे गाँव में सफाई कर्मचारी कभी नहीं आता है, जिससे पूरे गाँव में गंदगी का अंबार लगा रहता है। गंदगी के कारण संक्रामक बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है।”
वहीं ग्रामीण रामगुलाम (45 वर्ष) बताते हैं, “अगर पूरी ग्राम पंचायत की बात करें तो इस कदर नालियां बजबजा रही हैं कि बगल से निकलना दूभर है। हम लोग कूड़ा जला भी नहीं सकते, क्योंकि सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत कई शर्तें हैं।”
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