बारिश किसानों के चेहरों पर मुस्कान लेकर आई

गन्ना किसानों को फायदा

रवीन्द्र सिंह/विवेक राजपूत, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

सकरावा/इंदरगढ़ (कन्नौज)। बुधवार और गुरुवार को हुई बारिश किसानों के चेहरों पर मुस्कान लेकर आई। खरीफ की मक्का और धान के लिए यह बरसात रामबाण साबित हो रही है। जिन किसानों ने इन फसलों की बुवाई कर दी है वह काफी खुश हैं।

कन्नौज जिले में अधिकतर इलाकों में बुधवार की रात से शुरू हुई बरसात अगले दिन सुबह तक जारी रही। दोपहर में भीबदली छाई रही। बरसात से तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि उमस कायम रही।

जिला मुख्यालय कन्नौज से 70 किमी दूर बसे सौरिख ब्लाॅक क्षेत्र के भवानीपुर गांव निवासी 62 साल के किसान अमरसिंह ने बताया, ‘‘वर्षा होने से हमको 90 परसेंट फायदा हुआ है। 10 फीसदी मक्का गीली होने का नुकसान हुआ है।बाजरा बोने के लिए खेतों की जुताई हो जाएगी।’’

58 वर्षीय बालंटर सिंह निवासी दिलाबरपुर बताते हैं, ‘‘मुझे बारिश से लाभ ही लाभ है। हमारी धान और मक्का की पौध सूख रही थी। वर्षा नहीं बल्कि धन वर्षा है।’’

नगला विशुना निवासी स्वदेश सिंह (43) साल बताते हैं, ‘‘ये बारिश नहीं ये पैसा बरसा है। हमारी धान की खेती, मक्काकी खेती सबको पानी की जरूरत थी। समय से पानी बरसा और लाभ भी हुआ और बाजरा की खेती के लिए जुताई भी होजाएगी।’’

‘‘किसान मक्का की बुवाई शुरू करें। जहां ज्यादा बारिश हुई है धान की रोपाई करें। बुवाई के लायक बारिश हो चुकी है।दलहन की फसल भी कर सकते हैं किसान।’’

डा. राजेश कुमार, डीडी कृषि-कन्नौज

सूख रही मक्का भींग गई

आजकल सड़कों और गलियों में किसानों की मक्का भी सूख रही थी। अचानक रात में हुई बारिश से कई किसानों कीमक्का भींग गई। खेतों में भी पड़ी मक्का बरसात होने से गीली हो गई।

गह-जगह जलभराव

कन्नौज जिला मुख्यालय से करीब 28 किमी दूर बसे इंदरगढ़ क्षेत्र में दुकानों और सड़कों पर पानी भर गया। लोगों कानिकलना दूभर हो गया। दुकानदार भी खासे परेशान हो गए। पटेल नगर निवासी 45 साल के रावेन्द्र कहते हैं, ‘‘15 सालोंसे ही हाल है। विधायक से चर्चा की, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला।’’

50 वर्षीय रामू कनौजिया कहते हैं, ‘‘मेरा तो मकान ऊंचाई पर है लेकिन मेरे घर का पानी निकल कर जब दूसरों केदरवाजों, दुकानों के सामने भर जाता है और जब वो लोग मुझसे कहते हैं भैया आपका पानी मेरे दरवाजे पर भरा है तोबहुत खराब लगता है।’’

51 साल के विजय पाल बताते हैं, ‘‘ मौसम में जरूर बदलाव हुआ है। जिससे गर्मी में बेहाल थे।पानी बरसने से अब कुछ राहत मिली है।’’

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