हाईटेक ठग, लकी ड्रा का झांसा देकर लोगों को बनाते हैं शिकार

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हाईटेक ठग, लकी ड्रा का झांसा देकर लोगों को बनाते हैं शिकारप्रतीकात्मक फोटो

करन पाल सिंह/अरुण मिश्रा

लखनऊ/बाराबंकी। देश में डिजिटलाइजेशन हो रहा है। हर हाथ में मोबाइल और इंटरनेट है। तकनीकी जैसे-जैसे लोगों की जिंदगियां आसान कर रही है अपराधी उसका फायदा उठाने में जुटे हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन ठगी के सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। शहर के बाद पढ़े-लिखे नटवरलाल अब गांव के लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।

बाराबंकी के बिशुनपुर क्षेत्र के मोहम्मदपुर गाँव के निवासी खुशीराम (55 वर्ष) के पास मोबाइल नंबर 7309133128 से एक अनजान कॉल आयी। फ़ोन करने वाले ने एक टेलीकॉम कम्पनी की वार्षिक इनामी योजना का हवाला देते हुए उसका पहला लकी विजेता होने की बधाई दी। इनाम के रूप में तीन लाख रुपये नगद और एक बाइक मिलने की बात बताई। लेकिन इनाम का क्लेम करने के लिए एक सर्त रखी गई की आप सुबह 10 बजे तक एक राष्ट्रीय बैंक की किसी शाखा से 10500 रुपये फ़ाइल चार्ज के नाम पर दिए गए अकॉउंट नंबर में जमा करने को कहा गया। एडवान्स पेमेंट की बात से खुशीराम का माथा ठनक गया। उसने यह बात अपने चंद परिचितों को बताई। लोगों ने पूरा मामला फ्रॉड होने की बात बताई जिससे ख़ुशीराम के पास लगातार फोन आने के बाद भी वह ठगी होने का शिकार होते होते बच गए। लेकिन हजारों लोग कम जानकारी और लालचवश इनका शिकार हो जाते हैं। पिछले हफ्ते कानपुर में एक सिपाही को ही ठगों ने हजारों रुपये का चूना लगा दिया।

यूपी में ग्रामीण और शहरी लोगों को साइबर अपराधी बड़ी आसानी से शिकार बना रहे हैं। देश भर में अपराध को दर्ज़ करने वाली संस्था राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार वर्ष 2014 में भारत में कुल 5752 साइबर अपराधियों को पकड़ा गया। इनमें से सबसे अधिक 1223 यूपी से थे। उधर, लखनऊ स्थित डीजी क्राइम कार्यालय के मुताबिक वर्ष 2015 में 2200 से अधिक साइबर क्राइम के मामले सामने आए। हाल ही में एनसीआरबी की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में सबसे अधिक साइबर अपराध के मामले महाराष्ट्र में हुए। यहां पर 1879 मामले सामने आए, जबकि दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश (1737) है।

प्रतीकात्मक फोटो

बाराबंकी निवासी आलोक कुमार (30 वर्ष) कई महीने पहले इसी तरह की ठगी के शिकार हुए। आलोक बताते हैँ, "कुछ महीने पहले मेरे मोबाइल पर दिल्ली के नंबर से फोन आया। फोन करने वाली लड़की ने बताया की आपके बैंक के हेडआफिस दिल्ली से बोल रही हूं। आपका एटीएम एक्सपायर होने वाला है आप अपने के ऊपर लिखे सभी नंबर बता दे। फिर मैंने उसको अपने एटीएम के ऊपर लिखे नंबर बता दिए।" आलोक आगे बताते हैं, "फिर उन्होंने कहा की आपके एकाउंट में प्रॉब्लम हो रही है आप ऐसा करें आप अपना एटीएम नंबर दे दें। फिर मैंने उनकों अपना एटीएम नंबर भी दे दिया।" आलोक आगे बताते हैं, "एटीएम का नंबर देने के सिर्फ पांच मिनट बाद ही मेरे फोन में मैसेज आया की आपने 18 हजार रुपए की शापिंग की है। फिर मैंने उसी नंबर पर काल किया लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ।"

सात साल की सजा का है प्रावधान

भारत में साइबर अपराध से निपटने के लिए वर्ष 2000 में आईटी एक्ट बनाया गया, जिसे 2008 में संशोधित भी किया गया। आईटी एक्ट के तहत कंप्यूटर द्वारा कोई भी अपराध साइबर क्राइम की श्रेणी में आएगा। इसमें सात साल की जेल भी हो सकती है।

एकाउंट का बैलेंस हो जाता है साफ

अगर आपने फोन करने वाले शातिर को अपने क्रेडिट या डेविट कार्ड की जानकारी दे दी, तो आपके एकाउंट को बैलेंस साफ हो जाएगा, आपको पता भी नहीं चलेगा, क्या हुआ। यदि मोबाइल पर एसएमएस सेवा उपलब्ध है, तो एकाउंट से पैसे गायब होने की जानकारी जल्दी हो जाएगी और नहीं है, तो जब आप एकाउंट चैक करेंगे, तो पता चलेगा, कि वह तो खाली हो चुका है।

ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं शातिर


प्रतीकात्मक फोटो

एकाउंट का पैसा इन शातिरों द्वारा न तो कैश में निकाला जाता है और न ही दूसरे एकाउंट में भेजा जाता है। शातिर आपके एकाउंट की डिटेल जानने के बाद ऑनलाइन खरीददारी करते हैं। जो भी बिल होता है, वो एकाउंट से कटता रहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि जब तक लोगों को अपने साथ हुए इस फ्रॉड की जानकारी होती है, तब तक उनका एकाउंट खाली हो चुका होता है।

बैंक कभी नहीं करता फोन

बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर शील कुमार ने बताया कि बैंक कभी भी अपने ग्राहक से एकाउंट संबंधी जानकारी मांगने के लिए कभी फोन नहीं करती है। यदि कोई जानकारी चाहिए भी तो ग्राहक को बैंक में बुलाया जाता है। इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए बैंक परिसरों में नोटिस भी लगाए गए हैं। बैंक द्वारा अपने सभी ग्राहकों को इसकी सूचना फोन और पत्र के माध्यम से भी दी गई है कि अपने एकाउंट की डिटेल किसी को न बताएं। आरबीआई भी लगातार लोगों को जागरुक करता रहता है कि किसी अनजान को अपने बैंक की डिटेल न बताएं।

ऐसे बचें आनलाइन फ्रॉड से

साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि आनलाइन फ्रॉड से बचना है, तो कुछ विशेश सावधानियां बरतें। एटीएम के उपर या कवर पर पासवर्ड न लिखें। एटीएम के कोउ को गोपनीय व सुरक्षित रखें। एकांत में बने एटीएम से रुपया निकालते समय सावधानी बरतें। मोबाइल पर आने वाली कॉल पर किसी को अपने एकाउंट की जानकारी न दें। होटल व मॉल के बिल भुगतान के समय अपना कार्ड सावधानी से स्वैप करें। टांजेक्शन फेल हो जाए, तो उसकी रशीद प्राप्त कर लें। एटीएम से रुपये निकालने के बाद कैंसिल का बटन जरूर दबाएं। एटीएम से पैसे निकालते समय किसी अन्य व्यक्ति को अपने पास खड़ा न होने दें।

साइबर क्राइम को रोकने के लिए लखनऊ, कानपुर, आगरा और नोएडा में साइबर सेल बनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। हर जिले में साइबर सेल ऑफिसर भी नियुक्त किए गए हैं, लेकिन जब तक लोगों में जागरुकता नहीं आएगी, तब तक साइबर क्राइम कम नहीं होगा। लोग मामले की रिपोर्ट कर सकें, इसलिए अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी गई हैं।
रक्षित टंडन, साइबर एक्सपर्ट एवं आगरा पुलिस के सलाहकार

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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