अनिल चौधरी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
पीलीभीत। प्रत्येक वर्ष जिला प्रशासन जुलाई से सितंबर तक मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध लगा देता है क्योंकि यह मछलियों के प्रजनन का समय होता है और उनकी संख्या में बढ़ोतरी होती है इसलिए शारदा सागर बांध में ठेके के नीलामी की अवधि 30 जून तक ही रखी जाती है। जनपद में शारदा सागर डैम, ड्यूनी डैम, पौटा डैम समेत शारदा नदी व जंगल की झीलों में इन दिनों जमकर मछलियों का शिकार किया जा रहा है, इसके बाद उत्तराखंड के बाजारों में बेचा जा रहा है।
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इधर, जैसे ही जुलाई में मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध लागू हुआ तो छोटी-छोटी नावों के माध्यम से शारदा सागर डैम में मछलियों का अवैध शिकार शुरू हो गया क्योंकि शारदा नदी टाइगर रिजर्व क्षेत्र में आती है इसलिए इस पर पूर्ण रूप से मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन इन दिनों शारदा पार जंगल में स्थित झीलों में मछली का अवैध शिकार तेजी से हो रहा है।
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शारदा सागर डैम को भरने के लिए दो नहरों से डैम में पानी डाला जाता है नहरों से पानी भरने के दौरान सिल्ट अधिक आने के कारण मछलियों को मिलने वाला चारा खत्म हो जाता है। वहीं सिल्ट अधिक आ जाने के कारण जिन क्षेत्रों में पानी का तेज बहाव डैम में गिरता है वहीं से ब्रीडिंग होती है, लेकिन अब तेज बहाव न होने के चलते पिछले कई वर्षों से मछलियों की ब्रीडिंग नहीं हो पा रही है।
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इस संबंध में जब शारदा पार ताललुके महाराजपुर के (70 वर्षीय) ग्रामीण शेर बहादुर से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया, “इन दिनों शारदा सागर बांध में छोटी-छोटी अनेक नाव दिनभर देखी जा सकती हैं। शाम के समय यह लोग पूरी-पूरी नाव मछलियों से भर कर लाते हैं और फिर पिकअप के माध्यम से उत्तराखंड राज्य के खटीमा, सितारगंज, टनकपुर आदि के बाजारों में बेच देते हैं, जबकि हमेशा जुलाई से सितंबर में मछलियों का शिकार प्रतिबंधित रहता है। फिर भी इन झीलों में मछलियों का अवैध शिकार किया जा रहा है।”
जिला मत्स्य अधिकारी संजय कुमार यादव बताया मैं फिलहाल अभी लखनऊ में ट्रेनिंग के लिए आया हूं वापस जाकर इस मामले को देखूंगा, यदि ऐसा है तो ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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