अध्यापिका ने खुद के पैसे से बदल डाली सरकारी स्कूल की सूरत
गाँव कनेक्शन 18 Oct 2016 11:58 PM GMT

रबीश कुमार वर्मा, कम्यूनिटी जर्नलिस्ट
फैजाबाद। प्राथमिक स्कूलों की हालत किसी से छिपी नहीं है। शिक्षकों का न आना, पढ़ाई में लापरवाही आदि समस्याएं लगभग हर स्कूल से आए दिन आती रहती हैं। लेकिन फैजाबाद जिले के एक स्कूल ने अपने को ऐसा बदला है कि यहां अंग्रेजी स्कूलों के छात्र पढ़ने आने लगे हैं। स्कूल के बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। यहां के शिक्षकों ने अपने पैसे से स्कूल का हुलिया बदल दिया है।
ट्रांसफर होकर यहां आई तो हालत बहुत खराब थे। तो मैंने सोचा कि क्यों न इस विद्यालय को बेहतर बनाया जाए। मरम्मत से लिए शासन से मदद मांगी, वो नहीं मिली तो खुद के पैसे लगा दिए।निवेदिका उपाध्याय, प्रधानाध्यापिका, प्राथमिक स्कूल, नगरिया, फैजाबाद
फैजाबाद जिला मुख्यालय से 15 किमी पर स्थित मसोधा ब्लॉक के नगरिया गांव के प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका निवेदिका उपाध्याय (35 वर्ष) का पांच महीने पहले जब यहां ट्रांसफर हुआ तो हालात बदतर थे। बच्चों की संख्या तो कम थी कि स्कूल भी जर्जर हो चुका था, फर्श जगह-जगह से उखड़ गई थी तो स्कूल के बाहर गंदगी फैली रहती थी। लेकिन पांच महीने में अपनी सैलरी से 50 हजार रुपये खर्च कर निवेदिका ने स्कूल की सूरत बदल डाली है। बिल्डिंग तो दुरुस्त कराई ही दीवारों पर पेंटिग करवा दी है। बच्चे रंगोली और एनएमएल के माध्यम से पढ़ाई करते हैं। इस स्कूल में 97 बच्चे हैं, जिनकी जानकारी किसी निजी स्कूल के छात्र जैसी ही है।
निवेदिका बताती हैं, “30 अप्रैल 2016 को ट्रांसफर होकर यहां आई तो हालत बहुत खराब थे। उससे पहले मैं फैजाबाद के मार्डन स्कूल में सहायक अध्यापक थी। तो मैंने सोचा कि क्यों न इस विद्यालय को वैसा ही बनाया जाए। स्कूल की मरम्मत से लिए शासन से मदद मांगी, वो नहीं मिली तो खुद के पैसे लगा दिए।”
गांव के अमरनाथ पांडेय (35 वर्ष) प्रधानाध्यापिका की तारीफ करते हुए कहते हैं, “पहले यहां हम लोग अपने बच्चों को भेजना पसंद ही नहीं करते थे। लेकिन अब सब लोग चाहते हैं कि उनका बच्चा यहीं पढ़े।” स्कूल के ज्यादातर बच्चे अंग्रेजी बोलने लगे हैं। निवेदिका कहती हैं, उनकी कोशिश है स्कूल में वैसी ही पढ़ाई हो जैसी कन्वेंट स्कूलों में होती है।”
पड़ोस के जूनियर हाईस्कूल के हालात बदतर
इसी स्कूल के बगल में स्थित जूनियर हाई स्कूल की दशा दयनीय तो है। वहां पर नियुक्त प्रधान अध्यापिका के जगह पर उनके बेटे ड्यूटी करने आते हैं। गांव के लोगों का आरोप है कि वो दिनभर बस क्लास में बैठकर गाने सुनते रहते हैं।
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