स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
बाराबंकी । हरी मिर्च की फसल में विभिन्न प्रकार के कीट व रोग भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे जहां फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। वहीं फसल की पैदावारी भी प्रभावित हो रही है। कीट व रोगों की समय रहते रोकथाम कर ली जाए तो अच्छी पैदावार ली जा सकती है। रोगों और कीटों ने किसानों के सामने समस्या खड़ी कर दी है।
जिला मुख्यालय से 38 किमी उत्तर मे ब्लाक फतेहपुर के कस्बा बेलहरा में बड़े पैमाने पर हरी मिर्च की खेती करने वले बेचन मौर्या (60 वर्ष) कहते हैं ,“इस वर्ष हरी मिर्च कि खेती करने वाले हम किसानों के लिए घाटे की फसल साबित हो रही है। मार्च माह में मिर्च की बिक्री 7-8 रुपए किलो की दर से हुई। वहीं 3-4 रुपए किलो मिर्च की तुड़ाई पड़ जाती है।”
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वहीं सूरतगंज ब्लाक लालापुर निवासी जर्नादन वर्मा (55वर्ष) कहते हैं,“ मई माह में हरी मिर्च का रेट 15 रुपए तक आया, लेकिन मई माह मे ज्यादा धूप होने के कारण फूल से फल नहीं बन पाए, जिससे उपज बहुत निम्न स्तर पर आ गई और हम किसानों को कोई फायदा नहीं मिल सका।”
वहीं फतेहपुर ब्लाक के बेलहरा निवासी युवा किसान जितेन्द्र सिहं (28 वर्ष) कहते हैं,“ हमारे पास तीन बीघा मिर्च लगी है। हर तीसरे दिन एक हजार से दो हजार तक की दवा दुकानों से लेकर डालते हैं। लगातार खेत को नमीं दे रहा हूं फिर भी हरी मिर्च की खेती में रोग लगना खत्म नहीं हो रहा है।”
हरी मिर्च के थोक व्यपारी मो. जुमन बताते हैं,“इस वक्त अच्छी मिर्च 1200 से 1300 रुपए प्रति कुंतल तक है। लेकिन मिर्च में रोग लग जाने पर मिर्च का कलर चला जाता है। बेरगं मिर्च के कम दाम मिलते हैं।
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थ्रिप्स
यह बहुत महीन कीट होती है जो पत्तियों का रस चूसती है, जिससे पत्तियां सिकुड़ जाती हैं।
माइट
यह भी बहुत छोटी कीट होती है। जो फसल का रस चूसती है और पौधे को लाल कर देती है। फूल गिर जाते हैं और उत्पादन नहीं होता है।
अमेरिकन सूडी
यह सूडी के आकार का कीट होती है जो फलो को तथा पत्तियो को खाती है।
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