कनपुरा में चार महीने पहले लगे खंभे मगर ग्रामीणों को नहीं मिली बिजली

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
कनपुरा में चार महीने पहले लगे खंभे मगर ग्रामीणों को नहीं मिली बिजलीकनपुरा गांव में लाइनें खींच दी गई हैं, लेकिन विद्युत सप्लाई नहीं हो सकी शुरू।

कम्यूनिटी जनर्लिस्ट: लक्ष्मी यादव

कक्षा- नौ, स्कूल- आरएस पब्लिक इंटर कॉलेज, गांधीनगर, तिर्वा-कन्नौज

स्वयं प्रोजेक्ट

तिर्वा/कन्नौज। उमर्दा ब्लॉक मुख्यालय से करीब पांच किमी दूर बसे गांव कनपुरा निवासी 60 वर्षीय राम प्रताप उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच गए हैं कि उनको काफी तजुर्बा होगा, लेकिन उन्होंने अपने गांव में बिजली के दर्शन अब तक नहीं किए हैं। यह परेशानी कोई रामप्रताप की ही नहीं है। करीब एक हजार जनसंख्या वाले इस गांव के लोगों से जुड़ी बड़ी समस्या है।

ग्रामीणों ने नहीं देखी बिजली की रोशनी

इस गांव के निवासी बीएससी प्रथम वर्ष के 16 वर्शीय छात्र सोनू यादव का कहना है कि उनके पूर्वज बताते हैं कि जब से कनपुरा बसा है, तब से यहां बिजली की किरण ही नहीं फूटी है। वह आगे बताते हैं कि बिजली की समस्या से सभी लोगों को जूझना पड़ रहा है। विकास के मामले में उनका गांव काफी पीछे है।

कई शिकायतों के बाद लगे बिजली के खंभे

हाईटेक युग होते हुए भी यहां का हर वर्ग बिजली की समस्या से जूझ रहा है। छात्र-छात्राएं पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं। गांव की 46 वर्षीय निशा का कहना है कि जब बिजली ही नहीं आती है तो इन्वर्टर खरीद कर क्या फायदा। अगर कुछ घंटे भी बिजली आती होती तो समस्या का समाधान हो सकता था, लेकिन यहां तो उन्होंने अब तक रोशनी ही नहीं देखी है। 45 वर्षीय कप्तान कठेरिया का कहना है कि बड़ी मुश्किल से करीब पांच महीने पहले यहां बिजली की लाइनें और खंभे लग गए, लेकिन सप्लाई अब तक शुरू नहीं हो सकी। उन्होंने बताया कि गांव की जनसंख्या एक हजार और वोटर करीब 650 हैं। इसके बाद भी सुनवाई नहीं हो रही है।

गांव में बिजली अब तक क्यों नहीं पहुंची है, पता करना पड़ेगा। हो सकता है कि लाइन खींचने और पोल लगाने का विवाद हो। ठेकेदार को हर सप्ताह काम का लक्ष्य दिया जाता है। उसकी जांच भी की जाती है। लापरवाही पर दूसरा ठेकेदार लगा दिया जाता है।
सुधांषु श्रीवास्वत, एसडीओ, तिर्वा, विद्युत विभाग

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.