कविता पौडवाल के भजनों पर खूब झूमे श्रोता

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कविता पौडवाल के भजनों पर खूब झूमे श्रोतादेवा के सांस्कृतिक मंडाल में भजन गाती कविता पौडवाल।

अरुण मिश्रा, कम्यूनिटी रिपोर्टर

देवा (बाराबंकी)। देवा के सांस्कृतिक पंडाल में मंगलवार को कविता पौडवाल के भजन गूँजे। कार्यक्रम का शुभारम्भ न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

न्यायमूर्ति महेंद्र दयाल ने कहा कि रामायण की हर चौपाई में जीवन का सन्देश निहित है। रामायण ग्रन्थ ही नहीं बल्कि जीवन की आचार संहिता है। रामायण का हर पात्र संयमित जीवन जीने की सीख देता है। उन्होंने कहा कि रामायण के पात्रों का आदर्श जीवन में आत्मसात करने पर रामराज्य की परिकल्पना साकार हो सकती है।

कविता पौडवाल की भजन संध्या की शुरुआत' "मन मेरा मन्दिर शिव मेरी पूजा, शिव से बड़ा नही कोई दूजा" भजन से हुई। इसके बाद उन्होंने "तूने मुझे बुलाया शेरावालिये" "मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है" आदि भजन प्रस्तुत किये।

इसके बाद उन्होंने "बाबा को रिझा कर देखो चादर तो चढ़ा कर देखो "शिरडी वाले साई बाबा आया है तेरे डॉ. पर सवाली" शिव नाम से है जगत में उजाला" तेरे दर पर आई हूँ कुछ करके जाउंगी" आदि भजन प्रस्तुत कर लोगों को तालिया बजाने पर मजबूर कर दिया। कविता के भजनों पर देर रात तक पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। इस मौके पर न्यायमूर्ति एवं कविता पौडवाल को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर न्यायाधीश आरपी पाण्डेय, मानस सम्मलेन के संयोजक संदीप सिन्हा,सचिव दिनेश पाण्डे, अपर जिलाधिकारी अनिल सिंह, देवानंद श्रीवास्तव सहित काफ संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

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