मजदूरों के बच्चों को शिक्षा के लिये मिलेगी ये सुविधा

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हरिनरायण शुक्ला, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गोंडा। तीन साल से परिषदीय विदयालयों में छात्रवृति बंद होने से बच्चे मायूस थे, लेकिन अब उन गरीब बच्चों को श्रम विभाग छात्रवृति देने जा रहा है, जिनके पिता मजदूरी कर रहे हैं और उनका नाम विभाग में पंजीकृत है। यह योजना बंद प्राइमरी स्कूलों के लिए आक्सीजन साबित होगी और बच्चों का नामांकन परिषदीय स्कूलों में बढ़ेगा।

तीन साल पहले परिषदीय स्कूल में प्राइमरी छा़त्र-छात्राओं को 300 रुपए का वजीफा तथा जूनियर के बच्चों को 480 रुपए वार्षिक मिलते थे। यह योजना बंद हो गई, जिससे दस से लेकर बीस प्रतिशत बच्चों का नामांकन घट गया। कारण मजदूरों ने बच्चों से खेती का काम कराना शुरू कर दिया। यह जमीनी हकीकत श्रम विभाग ने महसूस किया कि अगर मजदूर के बच्चों को स्कूल भेजना है तो उनके लिए छात्रवृति दी जाए, जिससे देश के भविष्य में बदलाव दिखे। वर्ष 2017-18 में श्रम विभाग ने छात्रवृति योजना शुरू की, जिसमें प्राइमरी , जूनियर , हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, पालिटेक्निक, इंजीनियरिंग व मेडिकल छात्र व छात्राओं को शामिल किया गया है।

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क्या करना है

मजदूर को श्रम विभाग में पंजीयन कराना है और शिक्षा सहायता के लिए छात्रवृति योजना में अर्जी डालना है। इसमें नाम, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, स्थायी पता, बालक -बालिका की जन्मतिथि, विकास खंड व जिला का नाम भरना है। विदयालय का नाम, अंकपत्र, श्रमिक का बैंक खाता, बैक का नाम, आइएफएससी कोड देना अनिवार्य है। श्रमिक व छात्र की फोटो चस्पा की जानी है।

विभाग के उपाश्रमायुक्त शमीम अख्तर का कहना है,“ प्रदेश सरकार की मजदूरों के लिए यह बेहतरीन योजना है, जिसमें सबसे निचले स्तर के लोगों को बच्चों के सुंदर भविष्य निर्माण में मदद मिलेगी। इससे बच्चों में पढ़ने की ललक बढेगी और अभिभावक बेगारी नहीं कराएंगे।”

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