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कानपुर में बड़ी नहर बनी नाला, सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति

कानपुर

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कानपुर। पुराने समय में नहरों का निर्माण इसलिए कराया गया था कि वह नदियों के जल को सुदूर ग्रामीण इलाकों तक पहुंचा सकें। जिन स्थानों पर नदी नहीं पहुंची हैं उन स्थानों पर भी पीने के पानी और सिंचाई की व्यवस्था हो हो सके, लेकिन कानपुर में सफाई न होने के कारण पनकी से निकलने वाली बड़ी नहर नाले का रूप ले चुकी है। बड़ी नहर की सफाई न होने के कारण नहर का पानी गाँवों तक नहीं पुहंच पा रहा है।

पनकी से निकलने वाली बड़ी नहर की स्थिति किसी गंदे नाले से कम नहीं है। नहर के किनारे ज्यादातर जगहों पर लोगों ने कब्जा कर रखा है। अवैध रूप से मकान भी बना रखे हैं। रोजमर्रा की निकलने वाली गंदगी इसी नहर में डाली जाती है। इस नहर की सफाई न होने से बड़ी नहर नाले का रूप ले चुकी है। पूरी नहर कूड़े से पटी पड़ी है। गंदगी होने से इसमें से दुर्गंध उठने लगी है। नहर के किनारे रहने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को संक्रामक बीमरी फैलने का डर सता रहा है।

नहर के किनारे रहने वाले रामदास (55वर्ष) बताते हैं,”मैं पिछले 35 सालों से इस नहर के किनारे सब्जी की दुकान लगाता हूं। आज तक इतने सालों में मैंने कभी भी नहर कीसफाई कायदे से होते नहीं देखी है। जेसीबी मशीन नहर की गंदगी साफ करने आती है। नहर से कूड़ा और गंदगी निकालती है और किनारे पर रख देती है। बाद में वहीं कूड़ा करकट फिर नहर में चला जाता है।”

नहर के बगल में ही रहने वाले विशाल चौधरी (40वर्ष) बताते हैं, ” इस बार लगभग दो महीने पहले नहर की सफाई हुई थी, जिसमें जेसीबी से नहर की गंदगी निकाल कर किनारे रख दी गई थी। अभी तक किनारे पर कूड़े का ढेर लगा हुआ है ।उसको भी उठाया नहीं गया है।”

इस मामले में मुख्य विकास अधिकारी अरुण कुमार बताते हैं, “ग्रामीण क्षेत्रों में समय-समय पर नहरों की सफाई कराई जाती है, लेकिन शहरों में इस सफाई की जिम्मेदारी नगर निकाय की होती है।”

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