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आठ वर्षों से ड्यूटी पर ही नहीं गए पशुधन प्रसार अधिकारी

Swayam Project

आशीष यादव, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

लखनऊ। यूपी में सरकार भले ही बदल गई हो लेकिन अफसरों को रवैया अभी भी नहीं बदला। आपको हैरानी होगी कि पशुचिकित्सा विभाग के एक पशुधन प्रसार अधिकारी आठ वर्षों से ड्यूटी पर ही नहीं गए।

राजधानी लखनऊ जिला मुख्यालय से 35 किमी की दूरी पर बसे विकास खंड मोहनलालगंज के सिसेंडी कस्बे के अन्तर्गत ग्राम जबरौली में जब गाँव कनेक्शन के संवाददाता ने पड़ताल की तो गाँव के काली प्रसाद (50 वर्ष) बताते हैं, “8-10 साल से यहां कोई डॉक्टर नहीं आया है। हम लोग अपने जानवरों को मजबूरी में प्राइवेट डॉक्टरों को दिखाना पड़ता हैं।” जबरौली के ग्राम प्रधान रमेश चंद्र गौड़ (55 वर्ष) ने बताया, “हमारे गाँव की आबादी लगभग सात हजार है और यहां पर पशुओं की संख्या लगभग छह सौ है।

यहां पर कहने को तो पशुचिकित्सालय है पर दरवाजे, खिड़की उखड़ी पड़ी हैं, गंदगी घर बन गया है।” अपनी बात को जारी रखते हुए ग्राम प्रधान ने बताया, “मैंने कई बार शिकायत की उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हां, इतना जरूर हो गया कि गुरुवार-शुक्रवार को एक डॉक्टर साहब आ जाते हैं।”इस विषय मे मंडल निदेशक रुद्र प्रताप से मिलने के लिए दो बार संवाददाता द्वारा समय मांगा गया, लेकिन रुद्र प्रताप नहीं मिले। फोन पर बात के दौरान रुद्र प्रताप ने कहा, “वहां जनता को दिक्कत नहीं है आप अनावश्यक नेतागिरी मत करो।”

पशु चिकित्सकों को घर बुलाकर इलाज कराना पड़ता है महंगा

सुखवेन्द्र सिंह परिहार,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

ललितपुर। बुंदेलखंड में पशु चिकित्सालयों पर पशुओं के निःशुल्क उपचार की व्यवस्था है, लेकिन समय पर डॉक्टर नहीं मिलते, अगर डॉक्टर को घर बुलाओ तो अलग से फीस देनी पड़ती है और दवा बाजार से खरीदनी पड़ती है।

ललितपुर जनपद में 19 पशु चिकित्सालय पर 17 पशु चिकित्सक तैनात हैं। वहीं 29 उप पशु केन्द्रों में से 12 संचालित हैं। बाकी चिकित्सकों के अभाव में खुलते भी नहीं। ऐसे पशुपालकों को उचित समय पर इलाज नहीं मिल पाता।

नियम के अनुसार पशु चिकित्सालयों का खुलने का समय सुबह आठ से ढाई बजे तक रहता है, लेकिन ऐसे कम ही चिकित्सक हैं जो समय पर मिलते हैं। ललितपुर जनपद से 52 किमी बार ब्लाँक के दिदौरा गाँव के पहाड़ सिंह (54 वर्ष) बताते हैं,

“गाँव में काफी दुधारू पशु हैं, मौसम परिवर्तन के दौरान तमाम तरह की बीमारियां फैलती हैं। पशु चिकित्सक से तुरन्त इलाज नहीं मिलता। चिकित्सक कभी अस्पताल में नहीं मिलते।”

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