मजदूरों के लिए शुरू हुई योजनाओं पर लगा ताला

दिहाड़ी मजदूर

नवनीत अवस्थी

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

उन्नाव। श्रमिक स्वावलंबी बन सके और अपने दम पर पैसे कमा कर आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें इसके लिए छह वर्ष पहले श्रम विभाग की ओर से औजार क्रय हेतु सहायता योजना शुरू की गई थी। उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा पंजीकृत निर्माण कार्मकारों को इस योजना के तहत मदद पहुंचाई जानी थी।

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विभाग का मानना था कि इस योजना के जरिए वह खुद औजार खरीद सकेंगे और अपने काम को आगे बढ़ाएंगे, हालांकि योजना में सिर्फ एक ही बार श्रमिक को इस योजना का लाभ मिलना था। इस योजना के तहत मजदूर को पांच हजार रुपए की आर्थिक मदद मिलनी थी।

इसके साथ ही मजदूरों के लिए संचालित आवास सहायता योजना की शुरुआत शासन स्तर से 11 जून 2013 को हुई थी। तीन साल तक तो योजना चली, लेकिन इस योजना से जिले में किसी भी मजदूर को लाभ नहीं दिया जा सका। ऐसे में योजना पर ताला लगाना ही बेहतर समझा गया।

इसके साथ ही पूर्व सरकार समाजवादी पार्टी ने श्रमिकों के लिए साइकिल सहायता योजना शुरू की थी। वर्ष 2013 में शुरू हुई इस योजना में श्रमिकों को साइकिल दी जा रही थी। साइकिल पाने के लिए मजदूरों को श्रम विभाग में अपना रजिस्ट्रेशन कराना था, लेकिन सरकार बदलते ही इस योजना पर भी ब्रेक लग गया।

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बिछिया के सराय कतियाँ में रहने वाले अमित साहू (54वर्ष) मजदूर हैं। श्रम विभाग में उनका रजिस्ट्रेशन भी हुआ है। वह बताते हैं,“ उन्हें उम्मीद थी कि साइकिल योजना के तहत इस साइकल मिल सकेगी, लेकिन जब जानकारी की तो पता चला कि वह योजना बंद हो गई है।”

योजनाओ पर बंदी को लेकर सहायक श्रमायुक्त एसके पाण्डेय का कहना है, “योजनाओं को शासन के निर्देश पर बंद किया गया है। अन्य जो योजनाएं संचालित हैं उनका लाभ श्रमिक ले सकते हैं।”

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