मां अन्नपूर्णा मंदिर में दूर-दूर से आते हैं पर्यटक, मगर नहीं है रुकने का इंतजाम 

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मां अन्नपूर्णा मंदिर में दूर-दूर से आते हैं पर्यटक, मगर नहीं है रुकने का इंतजाम कन्नौज के तिर्वा में अन्नपूर्णा देवी का मंदिर। 

कम्यूनिटी जनर्लिस्ट: निखिल त्रिपाठी

उम्र- 17 साल, कॉलेज- बालकृष्ण महाविद्यालय ईंटखारी, तिर्वा-कन्नौज

स्वयं डेस्क प्राेजेक्ट

तिर्वा/कन्नौज। कस्बे में 16वीं सदी में बना मां अन्नपूर्णा देवी यानी त्रिपुर सुंदरी देवी का मंदिर बहुत ही ऐतिहासिक और सिद्धपीठ है। इसके बावजूद यहां पर्यटकों के रूकने के इंतजाम नहीं है। सुरक्षा व्यवस्था भी बेहतर न होने की वजह से कई बार व्यापारी जहरखुरानों का शिकार हो चुके हैं।

हर साल लगते हैं तीन मेले

हर साल मंदिर परिसर के आस-पास तीन मेलों का आयोजन होता है। एक दिवसीय सबसे बड़ा मेला जुलाई में गुरू पूर्णिमा को लगता है। इसमें दूर-दूर जिलों के भक्तगण यहां आते हैं। इसके साथ ही एक-एक महीने के बैसाख और अगहन में भी दो मेले लगते हैं। यूं तो यहां दुकानें वर्षभर सजी रहती हैं। सोमवार और शुक्रवार के अलावा नवरात्र और बुधवार और रविवार को बाजार के दौरान भीड़ लगती है, लेकिन सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी रहते हैं।

लगता है पशु बाजार भी

एक-एक महीने के मेले में पशु बाजार भी लगता है। इसमें भी कई जिलों के व्यापारी यहां आते हैं। लेकिन सुरक्षा को लेकर अफसोस यह है कि मवेशी व्यापारी लूट का शिकार हो चुके हैं। वहीं, अधिकतर मामलों का खुलासा नहीं हो सका। इस वजह से व्यापारी यहां आने से कतराने लगे हैं। पर्यटक तो दूर-दूर से आए, लेकिन रूकने और खाने-पीने के बेहतर इंतजाम न होने की वजह से काफी मुश्किलें झेलनी पड़ीं। जो भी भक्तगण दूर-दूर से आते हैं वह ऐसे ही रात गुजारते हैं या फिर होटल आदि में रूकते हैं। कई वर्षों पहले यहां होटल भी नहीं थे। कन्नौज मुख्यालय पर ही यह सुविधा थी। मेरा सरकार से निवदेन है कि सरकार इस बारे में विचार कर उपयुक्त व्यवस्था की जानी चाहिए।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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