‘मैडम खुद कहती हैं, शौचालय गंदा है बाहर जाओ’

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‘मैडम खुद कहती हैं, शौचालय गंदा है बाहर जाओ’रायबरेली के गाँव सरॉय मिश्रन के प्राथमिक विद्यालय में शौचालयों में लटका है ताला।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: अनुराग त्रिवेदी

लालगंज (रायबरेली)। सरकारी स्कूलों की साफ-सफाई और शौचालय निर्माण के लिए हर साल लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन इस शौचालयों की किस्मत सिर्फ सरकारी दस्तावेज़ों तक ही सीमित रह जाती है। ऐसे में स्कूल में शौचालयों का हाल यह है कि बच्चे भी शौचालय का उपयोग नहीं करते।

शौचालय बहुत गंदा है, बाहर जाओ

जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर लालगंज ब्लॉक के सरॉय मिश्रन गाँव के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पांच में पढ़ने वाली कोमल (12 वर्ष) स्कूल में शौचालय का उपयोग नहीं करती है। कोमल बताती हैं, "जब हमें स्कूल में शौच के लिए जाना होता है तो स्कूल की पढ़ाई को छोड़कर खेतों में शौच के लिए जाते हैं। स्कूल में बने शौचालय में हर समय ताला ही लटकता दिखाई देता है। मैडम कहती हैं कि शौचालय में कोई नहीं जाएगा, वह बहुत ही गंदा है, बाहर जाओ।"

और विद्यालयों के शौचालयों का भी यही हाल

रायबरेली जिले में गाँव सरॉय मिश्रन के प्राथमिक विद्यालय के साथ सैम्बसी, निहस्था और पूरे शेर सिंह का पुरवा के प्राथमिक विद्यालयों में बने शौचालयों का भी यही हाल है। प्राथमिक विद्यालय, सरॉय मिश्रन की सहायक अध्यापिका राजकुमारी (35 वर्ष) बताती हैं, "स्कूल में शौचालय बना हुआ है, मगर शौचालय में पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए शौचालय को बंद ही रखते हैं।"

छह माह से नहीं हुई सफाई

कुछ मिलीजुली हालत का शिकार रायबरेली जिले के ही प्राथमिक विद्यालय सैम्बसी है, जहां छह माह से स्कूल के शौचालय में गंदगी भरी हुई है। विद्यालय की सहायक अध्यापिका सीमा (27 वर्ष) बताती हैं, "विद्यालय में शौचालय की सफाई करने के लिए कोई सफाईकर्मी भी नहीं आता है। इसी कारण व्यवस्था थोड़ी खराब है। शौचालय की साफ-सफाई कराई गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिससे समस्या और खड़ी हो गई।"

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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