अरविन्द सिंह परमार, गाँव कनेक्शन
ललितपुर। कच्ची शराब बनना एक दिन का काम नहीं, यह तो रोज का काम है। पुलिस के आने से पहले कारोबारियों के पास फोन आ जाता है, वो चले जाते हैं, वो पकड़े नहीं जाते। यह कहानी एक गाँव की नहीं बल्कि जिले के अधिकतर गाँवों की है।
“यहां की युवा पीढ़ी नशे के दलदल में है, पूरे गाँव में कई जगह कच्ची शराब बनती है, कई जगह बिकती है, वो भी सस्ते दाम पर। पूरे दिन युवा, बच्चे और बुजुर्ग सभी शराब के आदी हो गए जो घूमते रहते हैं। रैकवार समाज की 40 औरतें कम उम्र में विधवा हो चुकी हैं। पूरे गाँव में विधवा औरतों की संख्या कई गुना ज्यादा है। उनके पति 20 से 40 वर्ष की उम्र में कच्ची शराब से मर चुके हैं, “यह कहना है ललितपुर जनपद से पूर्व दिशा में छह किमी. रजवारा गाँव की सकुन (55 वर्ष) का।
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सकुन बताती हैं, “दो लड़के हैं, वो भी बाल-बच्चेदार। दोनों बहुएं ईंट-गारे को काम करने ललितपुर जाती हैं। 150 रुपए मिलता है, 20 रुपए किराए-भाड़े में खर्चा लगता है। दोनों लड़के बहुओं से पैसा छीन लेते हैं, न देने पर घर के बर्तन और सामान बेच देते हैं, रोकने पर घर में लड़ाई करना और कपड़ों में आग लगाना रोज की बात है।”
रोते हुए सकुन बताती हैं, “ये तो शराब से मरने वाले हैं, नई पीढ़ी के बच्चे कैसे पलेंगे, जवान नातिन का कैसे ब्याह करेंगे, हमारा क्या होगा ये घर गृहस्थी कैसे चलेगी। कच्ची दारू के कारण हमारा घर बर्बादी की कगार पर खड़ा है। बच्चों को पहनने को कपड़े नहीं, पेट भरने के लिए खाना भी नहीं मिल रहा।”
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इसी गाँव के जानकी प्रसाद रैकवार (55 वर्ष) ने बताया, “गाँवों के लोगों के दिन की शुरुआत कच्ची शराब से ही होती है, जिससे गाँव का माहौल खराब है। शादी योग्य लड़के हैं फिर भी कोई शादी का रिश्ता लेकर नहीं आता। रैकवार समाज के 60-70 लड़के हैं।” वो आगे बताते हैं, “गाँव बदनाम हो चुका है, रिश्ते वाले भूले भटके आ तो जाते हैं, लेकिन रिश्ता नहीं करते, वह कहते हैं हम संबंध क्यों करें रजवारा के लड़के दारू पीते हैं, हम लड़की को ऐसी जगह नहीं भेजेंगे।”
वो आगे बताते हैं, “नई पीढ़ी सुबह से शाम तक दारू पीती है, बच्चों की 18 वर्ष तक पढ़ाई की उम्र है, इसी उम्र में दारू पीने की लत लग रही है।”
वहां शराब बिकती हैं, यह बात सही है। एक बार गाँव के अंदर-बाहर दबिश दे चुके हैं। कच्ची शराब का पाउच मिले थे। कुछ लोगों ने बताया भी है शाम के सात बजे से शराब बिकती है, जिसके लिए मुखबिर भी लगा दिया है। उसी के अनुसार दबिश देकर कार्रवाई की जाएगी।
एसपी पांडेय, जिला आबकारी अधिकारी, ललितपुर
कच्ची शराब पर प्रतिबंध लगाने के लिए महिलाओं ने बनाया संगठन
कई घर बर्बाद हो गए, जमीन बिक गई, नई पीढ़ी को लत लग गई और शराब की, जिससे पीने वाले ज्यादा हैं, तो बेचने बनाने वाले होंगे ही। परिवार उजड़ते देखा नहीं जाता, जिससे अब गाँव की महिलाओं ने कच्ची शराब पर प्रतिबंध लगाने के लिए महिला संगठन बना लिया।”
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कल्यान सिंह परिहार बताते हैं, “50-60 महिलाएं एक जुट होकर डीएम, एसपी व एसडीएम का घेराव कर चुकी हैं, मंगल दिवस में जा चुकी हैं, वहां एसडीएम ने अश्वासन दिया कि कार्रवाई होगी लेकिन कुछ नहीं हुआ। न ही कच्ची शराब पर प्रतिबंध लगा। हमारा प्रयास है बराबर सख्ती से कानूनी कार्रवाई हो, शराब बंद हो। प्रयास है कि बचे परिवार बिगड़ने से बच जाएं।”ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।