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#MenstrualHygieneDay: टूटी झिझक तो डॉक्टर दीदी को पता चली इन्फेक्शन की हकीकत 

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आभा मिश्रा, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

तिर्वा (कन्नौज)। वो शरमा रहीं थीं, अपनी परेशानी बताना नहीं चाह रहीं थीं। न ही कुछ पूछने की हिम्मत कर पा रही थी। पर जब उनसे कहा गया यहां न कोई बड़ा है और न कोई डॉक्टर है तो छात्राओं की चुप्पी आख़िरकार टूटी। माहवारी के दौरान होने वाली समस्याओं पर चर्चा हुई तो कुछ किशोरियों में इन्फेक्शन के लक्षण मिले।

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विश्व माहवारी दिवस पर गाँव कनेक्शन की ओर से सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में आयोजित प्रोग्राम में छात्राओं ने उन दिनों में पेट में असहनीय दर्द होने और कुछ ने सफेद पानी की समस्या भी रखी। छात्राएं अपनी-अपनी समस्याएं महिला डॉक्टर स्वस्तिका शालिनी के पास पहुंचकर कान में कह रही थीं।

डॉ. शालिनी ने बताया, “यह समाधान चेकअप, अल्ट्रासाउंड, साफ-सफाई, कुछ दवाओं, हरी सब्जियों के सेवन और आयरन की गोलियों से हो सकता है।”

लड़कियों ने अपनी समस्याओं के बारे में भी बताया।

काउंसलर रूचि वर्मा ने कहा, “महावारी के दौरान सबसे जरुरी साफ-सफाई है।” काउंसलर और डॉक्टर ने छात्राओं को नैपकिन भी वितरित किये। साथ ही 11 वर्ष से 19 वर्ष तक के बीच में होने वाले बदलाव के बारे में बताया।

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अर्श काउंसलर अलका शर्मा कहती हैं, “कुछ छात्राओं ने समय से पीरियड न होने की समस्या रखी। कुछ दिक्कतें भी बताईं, जिससे इन्फेक्शन की पुष्टि हुई है। इनको अस्पताल बुलाया गया है। हम लोगों ने अपने मोबाईल नम्बर भी सभी को नोट करा दिए हैं। जिससे वो जानकारी कर सकें।” अलका आगे बताती हैं, “कॉटन का प्रयोग करने से इन्फेक्शन हो जाता है। इसलिए सैनेटरी नैपकिन का प्रयोग करने को कहा गया है। शारीरिक परिवर्तन और खून की कमी पर भी चर्चा हुई।”

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उन्होंने आगे बताया कि लाल दाने पड़ना, खुजली होना और जलन की शिकायत संक्रमण के लक्षण हैं। आरकेएसके की जिला समन्वयक रागिनी सचान ने कहा, “विश्व महावारी दिवस पर शंका समाधान और समस्याओं पर चर्चा हुई है।”

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