स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क, गाँव कनेक्शन
लखनऊ। जहां खाद्य विभाग दूध में मिलावट को रोकने के लिए नए-नए कदम उठा रहा है, वहीं राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक ने एक ऐसा पेपर स्ट्रिप तैयार किया है, जिसके जरिये दूध में एंटीबायोटिक, पैस्टीसाइड और कीटनाशक मिला हुआ है या नहीं इसका पता लगाया जा सकेगा।
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान के डेयरी माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॅा. नरेश कुमार गोयल बताते हैं, “कंपनियां कभी-कभी ही दूध में कोई एंटीबायोटिक पैस्टीसाइड मिला हुआ है या नहीं इसकी जांच कराती हैं, लेकिन इस पेपर से वह रोज दूध की जांच कर सकेंगी। ज्यादातर पशुपालक पशु को बीमारी होने पर एंटीबायोटिक देते है पर दूध में ज्यादा एंटीबायोटिक होने पर वह हानिकारक हो जाता है। इस पेपर से 40 मिनट में पता चल जाएगा। उसमें एंटीबायोटिक है या नहीं।”
अपनी बात को जारी रखते हुए डॅा नरेश बताते हैं, “एंटीबायोटिक, पैस्टीसाइड और कीटनाशक की जांच कराने के लिए कंपनी को दो हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन इस पेपर को 60 रुपए में खरीदा सकता है। इस पेपर से दूध में मिलावट को काफी हद तक रोका जा सकेगा।इस तकनीक से अमेरिका की कंपनी भी प्रभावित हुई है। वो भी इस तकनीक को खरीदना चाहती है।”
यह स्ट्रिप एक पेपर स्ट्रिप है जिस पर दूध डालने से इसका रंग नहीं बदला तो समझ लिजिए दूध में एंटीबायोटिक, पैस्टीसाइड और कीटनाशक मिला हुआ है और अगर स्ट्रिप का रंग नीला हो जाता है। तो दूध में किसी तरह की मिलावट नहीं है। इस पेपर की कीमत 60 रुपए है ताकि इसको को कोई भी व्यक्ति आसानी से खरीद सके।
“दूध में इस तरह के तत्व न आए इसके किसान ऑर्गेनिक तरीके से खेती करनी चाहिए। यूरिया खाद का इस्तेमाल कम करें, कीटनाशक दवाईयों का इस्तेमाल कम करे। हरे चारे में इनका इस्तेमाल कम रहे क्योंकि हरे चारे के माध्यम से यह तत्व पशुओं के शरीर में जाते है और दूध के माध्यम से मनुष्य के शरीर में जाते है, जिनसे मनुष्य के शरीर में बीमारियां बढ़ती है।” डॅा. नरेश ने बताया।
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