आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों की माताएं परखेंगी पुष्टाहार की गुणवत्ता 

Rishi MishraRishi Mishra   31 May 2017 1:24 PM GMT

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आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों की माताएं परखेंगी पुष्टाहार की गुणवत्ता प्रदेश भर में आंगनबाड़ियों के लिए मातृ समितियों का गठन किया जाएगा।

लखनऊ। आंगनबाड़ियों में बच्चों को मिलने वाले पुष्टाहार पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। अब इन सवालों का जवाब आंगनबाड़ियों में जाने वाले बच्चों की माताएं ही तलाशेंगी। प्रदेश भर में आंगनबाड़ियों के लिए मातृ समितियों का गठन किया जाएगा।

ये समितियां आंगनबाड़ियों में बांटे जाने वाले पुष्टाहार का परीक्षण करेंगी। इसमें 12 महिलाओं को शामिल किया जाएगा। जिनमें प्राथमिकता के आधार पर उन महिलाओं को शामिल किया जाएगा, जिनके बच्चे इन आंगनबाड़ियों में जाते हैं। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से शासनादेश जारी कर दिया गया है।

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बाल विकास एवं पुष्टाहार विकास की प्रमुख सचिव अनीता मेश्राम की ओर से ये शासनादेश जारी किया गया है, जिसमें मातृ समितियों को गठित करने की बात कही गई है। इस समिति में सात से लेकर 12 तक सदस्य नामित किए जाएंगे। विशेष परिस्थितियों में इनकी संख्या 15 तक हो जाएगी। इनमें से एक महिला ग्राम सभा की सदस्य होगी। इसके अलावा महिला सामाख्या और अन्य स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को इसमें शामिल किया जाएगा।

मातृ समिति का मुख्य दायित्व

  • आंगनबाड़ी नियमित रूप से खुले, आंगनबाड़ी में नियिमत रूप से पोषाहार का वितरण किया जाए। मातृ समिति के सदस्य समय-समय पर पोषाहार के जांच एवं सत्यापन कार्य करें।
  • मातृ समिति के सदस्य पंजीकृत शिशुओं की संख्या का ध्यान रखें।
  • दो-तीन गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को अपनी देख-रेख में रखने का प्रयास करें।
  • मातृ समिति के सदस्य द्वारा इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाए कि पोषाहार उपलब्ध हो रहा हो और उसका वितरण शासन की मंशा के अनुरूप किया जा रहा हो।
  • मातृ समिति के सदस्य आंगनबाड़ी केंद्र पर चलाए जा रहे कार्यक्रम जैसे- टीकाकरण, विभिन्न जांच, पोषण एवं प्रौढ़ शिक्षा, हौसला पोषण योजना के संबंध में भी अपना योगदान देंगी। आंगनबाड़ी मातृ समिति द्वारा माह भर में पोषाहार की जांच के लिए एक रोस्टर तैयार किया जाए।
  • शनिवार को मातृ समिति के सदस्य एक साथ उपस्थित होकर आपस में बातचीत करके आंगनबाड़ी की गतिविधियों से परिचित होंगी।

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