कभी सोचा नहीं था कार्यवाहक मेयर का पद मिलेगा: सुरेश चंद्र अवस्थी

Ashwani Kumar DwivediAshwani Kumar Dwivedi   2 April 2017 10:04 PM GMT

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कभी सोचा नहीं था कार्यवाहक मेयर का पद मिलेगा: सुरेश चंद्र अवस्थीकार्यवाहक महापौर सुरेश चंद्र अवस्थी। (फोटो साभार: गूगल इमेज)

अश्विनी द्विवेदी (स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क)

लखनऊ। सफलता और लोकप्रिय होने के लिए यह जरुरी नहीं है कि इंसान के पिता या पारिवारिक पृष्ठभूमि बहुत सम्पन्न हो, अगर सफल लोगों की लिस्ट देखी जाए तो ज्यादातर सफल लोग का प्रारम्भिक जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा है। सीतापुर के एक गाँव में जन्मे सुरेश चंद्र अवस्थी एक दिन उत्तर प्रदेश की राजधानी के मेयर बनेंगे, इस बात का अंदाज उन्हें भी नहीं था। यह बात उन्होंने गाव कनेक्शन संवाददाता से साक्षात्कार के दौरान कही। बता दें कि उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा के महापौर पद से त्याग पत्र देने के बाद कार्यवाहक मेयर की जिम्मेदारी भाजपा के वरिष्ठ पार्षद सुरेश चंद्र अवस्थी को दी गयी है।

मूलरूप से जनपद सीतापुर मिश्रिख रोड पर स्थित ग्राम कुर्सी के निवासी 52 वर्षीय सुरेश चंद्र अवस्थी के पिता शिव प्रसाद अवस्थी गाँव में ही पोस्टमैन थे। सुरेश की प्रारम्भिक शिक्षा सीतापुर से ही हुई और जीवन का आरम्भिक काल गाँव में ही गुजारा। परिवार में माता-पिता और तीन भाई हैं। बड़े भाई डीपी अवस्थी एलआईसी एजेंट हैं और छोटे भाई रजनीकांत अवस्थी लोक निर्माण विभाग में कार्यरत हैं।

पिछले 17 वर्षों से लगातार हैं पार्षद

वर्ष 1984 में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद सुरेश ने जीविका के लिए कभी नौकरी तो कभी व्यवसाय करना शुरू कर दिया, लेकिन समाजसेवा की ललक के चलते सुरेश अवस्थी 1987 में राजनीति में आ गए। लंबे समय तक संघ से जुड़े रहने के बाद वर्ष 2000 में पहली बार लखनऊ नगर निगम के महाकवि जयशंकर प्रसाद वार्ड से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सभासद चुने गये। अच्छे व्यवहार और कार्य शैली के चलते वर्ष 2000 से लेकर अब तक निरंतर 17 वर्षों तक महाकवि जयशंकर प्रसाद वार्ड के पार्षद का दायित्व बखूबी निभा रहे हैं।

सादगी और अच्छे व्यवहार है पहचान

तीन बार अनवरत पार्षद रहने के बावजूद सुरेश महाकवि जयशंकर प्रसाद वार्ड में एलडीए के एक छोटे से मकान में रहने वाले सुरेश से वार्ड के नागरिक अधिकार के साथ किसी भी समय अपनी समस्या लेकर आसानी से मिल लेते हैं। सुरेश चंद्र अवस्थी वार्ड में नाली, पेयजल या अन्य समस्याओं के निराकरण में ही संलग्न दिखते हैं। सुरेश का कहना है कि जीवन में हर परिस्थिति से गुजरा हूं और सामान्य परिवार का हूं, इसलिए आम आदमी की पीड़ा को बखूबी समझता हूं।

मेयर बनने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं?

पद बढ़ने के साथ ही जनअपेक्षाओं को पूरा करने का दायित्व बढ़ गया है। पहले मैं सिर्फ एक वार्ड तक सीमित था, अब 110 वार्ड देखने हैं। डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा के पद पर हूं। वह मेरे आदर्श हैं। उनके मार्गदर्शन और सहयोग से जन अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास कर रहा हूं।

आपकी नजर में लखनऊ नगर निगम क्षेत्र की मूल समस्याएं क्या हैं?

गंदगी, अतिक्रमण और शुद्ध पेयजल का अभाव।

लखनऊ उत्तर के 19 वार्डों में नागरिक आवारा सुअरों से परेशान हैं, इसके लिये क्या करेंगे?

इन वार्डों पर आवारा सुअरों को हटाने के लिए ठोस रणनीति की जरुरत है। हम जल्द ही इसकी कार्य प्रणाली तैयार करेंगे।

पिछले वर्ष जुलाई से अक्टूबर माह के बीच लखनऊ सहित पूरे प्रदेश ने डेंगू का प्रकोप झेला है। हजारों परिवार अभी तक परिजनों की मौत से उबर नहीं पाये हैं, इसकी पुनरावर्ति न हो इसके लिए क्या करेंगे?

यह बहुत बड़ा विषय है, जो आपने पूछा है। डेंगू की रोकथाम के लिए नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त बैठक जल्द ही बुलाई जायेगी क्योंकि इन दोनों विभागों के सामंजस्य के बिना रोकथाम मुश्किल है। नगर निगम साफ-सफाई की जिम्मेवारी निभाए और स्वास्थ्य विभाग के लोग स्वास्थ्य कैम्प और जागरूकता फैलाने की दिशा में काम करें। डिप्टी सीएम की नजर भी इस विषय पर है। नगर निगम उनका कर्म क्षेत्र रहा है और लखनऊ की समस्या को वो बेहतर समझते हैं।

वार्डों में जलभराव एक विकट समस्या है, इसके निराकरण के लिए क्या कर रहे हैं?

बेतरतीब प्लाटिंग के चलते ये दिक्कत आ रही हैं। बगैर किसी योजना के प्राइवेट कॉलोनियां विकसित हो गयी हैं। ये बड़ी समस्या है। नगर निगम में मुझे जो अधिकार प्राप्त हैं, उनके तहत कोशिश करूँगा कि समस्या का समाधान हो और साथ ही डिप्टी सीएम से भी इस समस्या के निराकरण के लिए बात करूँगा।

    

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