यह है स्वास्थ्य उपकेंद्र का हाल, सात वर्षों से नहीं आया कोई डाॅक्टर

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यह है स्वास्थ्य उपकेंद्र का हाल, सात वर्षों से नहीं आया कोई डाॅक्टरबाराबंकी के टेड़वा ग्राम में स्वास्थ्य उपकेंद्र पर पड़ी हैं लकड़ियां और भूसा। 

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: वीरेंद्र शुक्ला

सूरतगंज (बाराबंकी)। सरकार विकास कार्य में करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। पैसा भी जा रहा है, विकास भी हो रहा है, पर सिर्फ कागजों पर। सच्चाई कुछ और ही बयां होती है। अगर कहीं अस्पताल या स्कूल या सरकारी कार्यालय बन भी जाता है तो उसको चलाने वाला कोई नहीं होता। ऐसा ही हाल बाराबंकी के टेड़वा गाँव में बने स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिलता है। आज इस स्वास्थ्य उपकेंद्र को बने लगभग सात वर्ष हो गए, मगर आज तक यहां कोई भी डॉक्टर नहीं आया। इस उपकेंद्र पर गाय, भैंस, बकरी बांधी जाती है। जिसको भी इस केंद्र का चार्ज मिला, वह भी कभी स्वास्थ्य उपकेंद्र के दरवाज़े तक दस्तक देने नहीं आए।

ग्रामीण बांधते हैं स्वास्थ्य उपकेंद्र पर पशु

बाराबंकी से 45 किलोमीटर दूर सूरतगंज ब्लाक में ग्राम टेड़वा में बना स्वास्थ्य उपकेन्द्र की हालत बद से बदतर हो गई है। लाखों रुपए से बना उपकेंद्र देखरेख के अभाव में खंडहर बन गया है। खिड़की-दरवाजे टूट चुके हैं। कमरों में ग्रामीण लकड़ी और कंडे जमा करते हैं। अपने पशु भी इसी स्वास्थ्य उपकेंद्र पर बांधते हैं।

कोई भी नहीं रुकता इस गाँव में

टेड़वा गाँव की ग्राम प्रधान बलराम प्रधान प्रतिनिधि पप्पू बताते हैं, "स्वास्थ्य उनकेंद्र में एएनएम उर्मिला यादव कभी-कभी आती हैं। उनके पास इस स्वास्थ्य उपकेंद्र का चार्ज है।" जब गाँव कनेक्शन ने उनसे बात की तो उर्मिला यादव बताती हैं, "हमारी पोस्टिंग ग्राम खड़ेहरा पोस्ट मोहमदपुर खाला और टेड़वा गाँव में है। टेड़वा स्वास्थ्य उपकेंद्र पर कोई आने को तैयार नहीं होता है इसलिए हर बार हमें ही चार्ज दे दिया जाता है। मैं अपना और यहां दोनों स्वास्थ्य उपकेन्द्रों का काम देखती हूं। हमें बहुत दिक्कत होती है, हमने कई बार अपने सीनियर को शिकायत की पर वो यहां जब भी किसी को भेजते हैं तो वो कुछ ही दिनों में चला जाता है। फिर हमें ही भेजा जाता है।"

तब सूरतगंज स्वास्थ्य केंद्र से लाते हैं दवाई

इस गाँव के राकेश का कहना है, "आज तक इस अस्पताल का चेहरा देखने कोई नहीं आया। हमारे गाँव में कई लोंगों को मलेरिया हो गया था, हमें भी हो गया था। जब हमारे गाँव का स्वास्थ्य उपकेंद्र खुलता ही नहीं है तो हमें मजबूरन सूरतगंज स्वास्थ्य केन्द्र जाना पड़ता है। वहां से हम दवाई लाते हैं। ये स्वास्थ्य केंद्र बकरियों और बैल का अड्डा बन गया है। हमारे गाँव में अधिक लोग बीमार पड़े हैं। स्वास्थ्य उपकेंद्र में डाक्टर न होने की वजह से लोग सही समय पर दवाई नहीं ले पा रहे हैं।"

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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