18 घंटे में भी शाम को ही नहीं देते बिजली, ग्रामीण खफा

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
18 घंटे में भी शाम को ही नहीं देते बिजली, ग्रामीण खफाफोटो साभार: गूगल

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: अरुण मिश्रा

विशुनपुर (बाराबंकी)। प्रदेश सरकार भले ही जनता को खुश करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे में से 18 घंटे बिजली सप्लाई का निर्देश देकर भले ही दोबारा सत्ता प्राप्त करने के सपने देख रही हो, लेकिन ग्रामीणों को यह नया रोस्टर रास नहीं आ रहा है। नए रोस्टर के तहत रात्रि 12:30 बजे से शाम 06:30 बजे तक अनवरत 18 घंटे बिजली की आपूर्ति होना है। मगर शाम के वक्त बिजली न मिलने से ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।

मगर शाम को बिजली जरूर मिले

प्रदेश सरकार ने एक नवम्बर से पूरे प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे बिजली सप्लाई का आदेश दिया है। जिसके तहत बाराबंकी जनपद में रात्रि 12:30 से शाम 6:30 तक लगातार 18 घंटे बिजली सप्लाई होती है। ये नया रोस्टर ग्रामीणों को रास नहीं आ रहा है क्योंकि ग्रामीणों का मानना है कि भले ही बिजली 12 घण्टे मिले, लेकिन शाम के वक्त जरूर मिले ताकि कम से कम शाम का खाना तो उजाले में खा सके।

ग्रामीणों की ख्वाहिशों पर फेरा पानी

कोटवाकला के गिरिजा शंकर बताते हैं, "गाँवों में गरीब तबके के लोग रहते हैं। उनके पास बिजली से चलने वाले उपकरण नहीं है, जिससे उन्हें 18 घण्टे बिजली सप्लाई से कोई लाभ नहीं मिलता। उन्हें तो बस उजाले में खाना खाने की ख्वाहिश रहती है, लेकिन बिजली के इस नए रोस्टर ने उनके ख्वाहिशों पर भी पानी फेर दिया है।" सालेहनगर के ग्रामीण प्रदीप पाल ने बताया, "पूरे दिन आदमी खेतो में काम करके जब घर आता है तो अगर उजाले में कुछ पल अपने परिवार के साथ बिताता है तो उसके दिल को बड़ा सुकून मिलता है।"

उचित दर से नहीं मिलता मिट्टी का तेल

इसी गाँव में रहने वाले बुजुर्ग अम्बिका प्रसाद (74 वर्ष) बताते हैं, "एक ओर जहां शाम को ग्रामीणों को बिजली की सप्लाई नहीं मिलती, वहीं क्षेत्र के कुछ ऐसे भी गाँव है जिनमें उचित दर की दुकान से मिलने वाला मिट्टी का तेल भी नहीं मिला है जिससे ग्रामीणों का जीवन अंधेरे में ही बीतता है। बिजली की बेहतर सप्लाई से अपनी पीठ थपथपाने वाली सपा सरकार को कौन बताये कि ग्रामीणों को बिजली की तमन्ना केवल शाम को अपने परिवार के साथ उजाले में भोजन करने के लिए होती है। इनके पास इनवर्टर जैसी सुविधा उपलब्ध नहीं होती, जिससे इन्हें अंधेरे में ही अपने सारे कार्य करने पड़ते है।"

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.