आठ महीने बीत गये, मगर रठगाँव के ग्रामीणों को नहीं मिला सफाईकर्मी

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आठ महीने बीत गये, मगर रठगाँव के ग्रामीणों को नहीं मिला सफाईकर्मीप्रतीकात्मक फोटो।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

ऐरवाकटरा (औरैया)। विकास खण्ड क्षेत्र का ग्राम रठगांव अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहा है। पहले जब यहाँ सफाईकर्मी तैनात था, तब भी हाल यह था कि गांवों में महीने में दो चार बार आकर ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता था। ग्रामीणों ने जब सफाईकर्मी की लापरवाही की शिकायत उच्च अधिकारियों से की तो अधिकारियों ने ग्रामीणों की शिकायत पर जाँच की और शिकायत सही पाई और उस सफाई कर्मी को हटा दिया गया। उसके बाद से यहां कोई सफाईकर्मी नियुक्त ही नहीं किया गया।

महीने में आता था चार दिन

ग्राम रठगांव विकास खण्ड ऐरवाकटरा और बिधूना के बार्डर पर स्थित है। जिस कारण यह गाँव प्रारम्भ से ही उपेक्षा का शिकार रहा है। ब्लाक के अंतिम छोर पर बसे होने के कारण इस गाँव पर अधिकारियों की भी नजर नहीं जाती। ऐसे में गाँव मे तैनात सफाईकर्मी और अन्य कर्मचारी भी मनमानी करते हैं। करीब एक वर्ष पहले गांव की सफाई के लिये सफाईकर्मी तैनात किया गया था, लेकिन गाँव में सफाई का कोई काम नहीं हुआ। जैसे-जैसे समय बढ़ता गया गाँव आने के उसके दिन घटते ही गये। कुछ ही महीने में उसकी हालत यह हो गई कि वह महीने में चार दिन आकर डयूटी की लकीर पीट जाता था।

तब तहसील दिवस में ग्रामीणों ने की शिकायत

इससे खफा होकर इरशाद टेलर, मोबीन अली, गजेन्द्र सिंह राजू सिंह, पप्पू, कुलदीप कुमार, दीप सिंह, गब्बार, रमेश कुमार, अशोक कुमार, सामिद अली, आसिब अली, रमेशचन्द्र शुक्ला, हरी शाक्य, संतोष कुमार, मनोज शाक्य, संदीप शाक्य, गौरव शुक्ला आदि कई ग्रामीणों ने मिलकर सफाईकर्मी की शिकायत तहसील दिवस में कई बार की। नतीजा यह हुआ कि ग्रामीणों की शिकायत पर जांच बैठा दी गई। जांच में ग्रामीणों द्वारा लगाये गये आरोप सही पाये गये जिस पर अधिकारियों ने लापरवाह सफाईकर्मी की इस गांव से छुट्टी कर दी।

आठ महीने से नहीं मिला दूसरा सफाईकर्मी

अब ग्रामीणों की समस्या यह है कि उसकी छुटटी हुये आठ महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक दूसरे सफाई कर्मी की नियुक्ति नहीं की गई। ग्रामीण लगातार ब्लॉक स्तरीय व तहसील स्तरीय अधिकारियों से मिलकर नये सफाई कर्मी की तैनाती की मांग करते हैं, लेकिन आठ महीने बाद भी कुछ न हुआ। अब वे आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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