बस भी नहीं चलती है, आठ किमी दूर स्कूल कैसे पहुंचे 

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बस भी नहीं चलती है, आठ किमी दूर स्कूल कैसे पहुंचे परिवहन विभाग की बस सेवा न चलने से ग्रामीण झेलते हैं परेशानी।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: ऋषभ मिश्रा

कलान (शाहजहांपुर)। प्रतिमा शुक्ला को रोज़ स्कूल पहुँचने के लिए आठ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इसके लिए प्रतिमा को अपने घर से जल्दी निकलना पड़ता है ताकि वे स्कूल सही समय पर पहुंच सके। स्कूल के रास्ते में अगर साधन मिल भी गया तो उसको छेड़छाड़ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

जितनी जगह नहीं, उससे कहीं ज्यादा सवारी

कलान कस्बा के निवासी प्रतिमा शुक्ला (29 वर्ष) शहर के एक प्राइवेट स्कूल में अध्यापिका हैं। प्रतिमा बताती हैं,"बसें न चलने के कारण शाहजहांपुर पहुंचना एक बहुत बड़ी परेशानी है। इससे हम लोगों का वक्त तो बर्बाद होता ही है और जान का भी खतरा रहता है क्योंकि जीप में जितनी जगह होती है, उससे कहीं ज्यादा सवारी होती हैं।"

कभी-कभी छूट जाता है कॉलेज

यह समस्या केवल प्रतिमा की ही नहीं, बल्कि कलान क्षेत्र के सभी लोगों की हैं। लंबे अरसे से कलान क्षेत्र में शाहजहांपुर डिपो की बसें नहीं चलती हैं। ऐसे में क्षेत्र के लोगों को शहर तक पंहुचने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शाहजहांपुर के एसएस कॉलेज में पढ़ने वाले राशि वर्मा (20 वर्ष) बताती हैं, कोई भी साधन न मिलने से कभी-कभी कॉलेज भी छोड़ना पड़ता है।"

ऐसा नहीं है कि अधिकारियों से शिकायत नहीं की

बसों के संचालन के लिए किये गए प्रयासों के बारे में कलान क़स्बा के निवासी यूसूफ खां बताते हैं," इस समस्या से परेशान होकर कई बार क्षेत्र के लोगों ने जिलाधिकारी, एआरएम रोडवेज व परिवहन विभाग के मंत्री को पत्र भेजकर बसों के संचालन की मांग उठाई थी, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है।"

डग्गामार वाहनों का लेना पड़ता है सहारा

रोडवेज बसों का क्षेत्र में संचालन न होने के कारण लोग डग्गामार वाहनों का सहारा लेने को मजबूर हैं। डग्गामार वाहन चालक लोगों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए भूसें की तरह सवारियां भरकर सड़कों पर रफ्तार भरते हैं। लोगों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है।जलालाबाद व शाहजहांपुर पहुंचने के लिए डग्गामार जीपें ही एक मात्र सहारा हैं।

अफसरों और नेताओं की लापरवाही

कलान कस्बे में रहने वाले अमित कुमार (25 वर्ष) बताते हैं, "अफसरों व नेताओं की लापरवाही के कारण हम क्षेत्रवासी परेशानी झेलने को मजबूर हैं। यहाँ की लड़कियों को स्कूल जाने में भी काफी परेशानी होती है।"

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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