तालाबों को सवारेंगी ये महिलाएं

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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। जिन जिलों में पानी की ज्यादा किल्लत हैं, वहां तालाब के सुदृढ़ीकरण के लिए महिला समाख्या की हजारों महिलाएं पानी पंचायत टीम का हिस्सा बनकर अब उन तालाबों की देखरेख खुद करेंगी, ये महिलाएं कम पानी में होने वाली उपज और तालाब के आस-पास पौधरोपण की जिम्मेदारी भी खुद संभालेंगी।

मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर साहपुर ब्लॉक के बरला गाँव में रहने वाली नीलम मलिक (42 वर्ष) का कहना है, “पानी भरने में पुरुष कभी मदद नहीं करते हैं। जानवरों को पानी पिलाने से लेकर रसोई तक के पानी का इस्तेमाल हमें खुद करना पड़ता है। अब पानी पंचायत की सदस्य बन गई हूं। तालाब में जो भी काम होगा अब उसकी देखरेख हम खुद करेंगे। तालाब पर अब न तो कोई कब्जा कर पाएगा न ही उसकी मिट्टी लेकर कोई इस्तेमाल कर पाएगा।”

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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ‘इंटीग्रेटेड पाउंड मैनजमेंट’ कार्यक्रम के तहत प्रदेश के 34 जिले में 234 तालाबों को पुनर्विकसित करने का कार्य लघु सिंचाई विभाग एवमं महिला समाख्या उत्तर प्रदेश द्वारा किया जा रहा है। ऐसा माना जाता है 80 फीसदी पानी का इस्तेमाल महिलाएं ही करती हैं इसलिए इस योजना के अंतर्गत हर तालाब पर महिलाओं की पानी पंचायत का गठन हो रहा है, जिसमें एक पानी पंचायत में 15-20 महिलाओं की भागीदारी हो रही है।

सहारनपुर की पानी पंचायत की जिला समन्यवक ममता चौधरी का कहना है, “पर्यावरण दिवस पर महिलाओं ने मिलकर तालाब के पास पौधे लगाए हैं और ये संकल्प लिया है कि वो पानी को बर्बाद नहीं करेंगी। तालाब के आसपास साफ़-सफाई का खास ध्यान रखेंगी। तालाब का पानी सही ढंग से इस्तेमाल हो अब ये अधिकार भी महिलाओं के पास होगा।”

महिला समाख्या की पानी पंचायत की स्टेट को-आर्डिनेटर रागिनी सिंह का कहना है, “पानी पंचायत में महिलाओं की सहभागिता इसलिए जरूरी है क्योंकि पानी के साफ़-सफाई का सबसे ज्यादा ध्यान उन्हें ही रखना पड़ता है, ये महिला संघ दूसरी ग्रामीण महिलाओं को न सिर्फ पानी की बचत को लेकर जागरूक करेगी बल्कि तालाब की पूरी देखरेख खुद ही करेगी।”

महिला समाख्या की महिलाओं ने जब जिले अनुसार तालाबों का सर्वे किया तो एक बात सामने आई कि इन तालाबों पर या तो गाँव के लोगों ने कब्जा कर लिया है या फिर तालब पूरे तरह से सूखे पड़े हैं।

तालाबों के सुदृढ़ीकरण के लिए मई महीने से काम शुरू हो गया है, हमीरपुर जिले में पानी पंचायत की जिला समन्यवक जया यादव का कहना है, “तालाब की जगह लोगों ने पक्के घर बना लिए हैं जिससे तालाब का क्षेत्रफल कम हो गया है, इस वजह से ग्रामीण लोग पानी पंचायत का हिस्सा बनने में कम रूचि दिखा रहे हैं, तालाबों की मिट्टी खोदकर लोग बेच रहे हैं, अब महिलाएं इसकी पूरी देखरेख खुद करेंगी।”

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