लखनऊ में एक इलाका ऐसा भी, लड़कियां बोलीं- “रात में रेल की पटरियों पर ही शौच जा पाते हैं”

Swayam Project

लखनऊ। प्रदेश में कई शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद हो रही है। लखनऊ में भी ऊंची-ऊंची इमारते बन रही हैं लेकिन इन्हीं इमारतों के पीछे और आसपास के इलाकों और झुग्गी वालों की जिंदगी बदतर है।

लखनऊ के वीआईपी एरिया गोमतीनगर में ऐसी ही एक तस्वीर देखने को मिली, जहां आज भी लड़कियां रात होने के बाद पटरियों के किनारे शौच के लिए जाती हैं। गोमतीनगर के स्टडीहॉल स्कूल की कक्षा नौ की छात्राओं ने स्वयं प्रोजेक्ट के तहत अपने क्षेत्र की समस्याएं सामने रखीं। छात्राओं को सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं की सुरक्षा, खुले में शौच करना और पानी की कमी प्रमुख है।

इलाके में नहीं है शौचालय की व्यवस्था 

गोमतीनगर के विशाल खंड-1 खरगापुर क्रासिंग के पास 150 झोपड़ी वाली आबादी में रहने वाली नेहा भारती (16 वर्ष) का परिवार कई वर्ष पहले रोजीरोटी की तलाश में सीतापुर से लखनऊ आ गया था। वो संकोच के साथ बताती हैं, “मेरे पिता पेंटर हैं इसलिए आमदनी कम है, जिसकी वजह से सरकारी जमीन पर झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं। शौचालय बनवाने के लिए न जमीन है न पैसे। हम लोग रेल की पटरियों पर रात में ही शौच जा पाते हैं। खुले में शौच जाने से शर्म भी आती है पर हम अपनी ये बातें किसी से कह नहीं सकते।”

मेरे पापा पेंटर हैं। घर नहीं है तो झुग्गी बनाकर रहते हैं। हम लोग रेल की पटरियों पर रात में ही शौच जा पाते हैं। खुले में शौच जाने से शर्म भी आती है पर हम अपनी ये बातें किसी से कह नहीं सकते।

नेहा भारती (16 वर्ष), छात्रा

लखनऊ के बहुत से हिस्सों में झोपड़ी बनाके रहने वालों की संख्या बहुत अधिक है चाहे वो गोमती का किनारे हो या फैजुल्लागंज की बस्ती जहां पर शौचालय, पीने का पानी, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। इसी विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा शिवानी (15 वर्ष) बताती हैं, ” शाम सात बजने के बाद गोमतीनगर के झुग्गी वाले इलाकों में लड़कियां बाहर नहीं निकलती क्योंकि आस-पास के लोग शराब पीकर लड़कियों को छेड़ते हैं। पापा ने उनके खिलाफ कम्प्लेंट भी की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।” शिवानी आगे बताती है, “कुछ दिन पहले हमारे घर के बगल में रहने वाली लड़की जो काम करने के लिए बाहर जाती थी उसके साथ रास्ते में कुछ लड़कों ने छेड़छाड़ की, जिसका विरोध करने पर वो उस लड़की को उठा ले गए। जिसका आज तक कोई पता नहीं चला। पुलिस भी किसी काम नहीं आई।”

खरगापुर क्रासिंग के पास रहने वाली सीमा कुमारी (16 वर्ष) बताती हैं, “हमारे एरिया में गंदगी के कारण कई लोगों को डेंगू हो गया है, जिससे दो बच्चियों की मौत हो चुकी है। फिर भी हमारे यहां कोई भी कूड़ा उठाने नहीं आता है। पार्षद के कई बार फोन करने पर सप्ताह में एक या दो बार आते हैं फिर भूल जाते हैं।” कौशल्या (17 वर्ष) बताती हैं, “कीटनाशक दवाओं का छिड़काव भी महीने में एक बार ही होता है वो भी सिर्फ खानापूर्ति के लिए जिससे समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। मेरी बहन भी डेंगू से पीड़ित है जिसका इलाज चल रहा है।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

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