Gaon Connection Logo

‘पैडी ड्रम सीडर’ से बुवाई बचत के साथ मुनाफे का सौदा 

agriculture

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। अगर किसी किसान को अपनी धान की नर्सरी लगाने में देर हो गयी है या फिर किसान कि नर्सरी किसी कारणवश खराब हो गयी है, तो एक खास पद्धति किसान के काम आ सकती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘पैडी ड्रम सीडर’ की, जिससे बुवाई करके इस समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र सीतापुर की टीम इस समय किसानों को इसकी बकायदा प्रशिक्षण भी दे रहीं है, जिससे किसान अपने समय के साथ-साथ पैसे की बचत भी कर सकते हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र सीतापुर के वैज्ञानिक डॉ. दयाशंकर श्रीवास्तव ने बताया, “मजदूर न मिलने पर किसान किसान खेत में छिटकवा विधि से सीधी बुवाई धान की करने लगे हैं। लेकिन ऐसे में पौधों में समानता नहीं होती व जमाव कम होता है। इससे अपेक्षित उपज प्राप्त नहीं हो पाती। ऐसे किसान ड्रम सीडर से सीधी बुवाई करके इस समस्या को दूर कर सकते है।”

पैडी ड्रम सीडर से बुवाई करने का प्रशिक्षण देते कृषि विज्ञान केंद्र सीतापुर के वैज्ञानिक।

उन्होंने आगे बताया, “धान की सीधी ड्रम सीडर से बुवाई करते समय खेत के समतलीकरण मिट्टी की सेटिंग व खेत में जिला स्तर पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ड्रम सीडर से बुवाई के लिए 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज लगता है व एक बीघा में चार से पांच किलोग्राम बीज लगता है।”

संबंधित खबर : कम पानी में बेहतर उपज के लिए करें धान की सीधी बुवाई

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि रोपाई से पहले मिट्टी की जांच अवश्य कराएं। इसके आधार पर सुझाए गए बीज व उर्वरक की मात्रा का ही छिड़काव करें। बीज को 12 घंटे तक पानी में भिगो दें। इसके बाद बीज को छान लें व बोरे से अंकुरण दिखाई देते ही बुवाई करें। हल्के अंकुरित बीज को ड्रम सीडर ग्राम में बराबर मात्रा में भरे। पांच से छह घंटे के अंदर बुवाई कर देनी चाहिए। अधिक देर होने पर मिट्टी कड़ी होने लगती है। ड्रम सीडर से बुवाई करने से प्रति हेक्टेयर 40 मजदूरों की मजदूरी कम हो जाती है। कतार में होने के कारण खरपतवार नियंत्रण में आसानी होती है।‘’

डॉ. दया आगे बताते हैं, “इस विधि से कम लागत तो लगती ही है। इससे किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकता हैं, क्योंकि इससे अच्छी पैदावार होती है।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

More Posts

छत्तीसगढ़: बदलने लगी नक्सली इलाकों की तस्वीर, खाली पड़े बीएसएफ कैंप में चलने लगे हैं हॉस्टल और स्कूल

कभी नक्सलवाद के लिए बदनाम छत्तीसगढ़ में इन दिनों आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलने लगी है; क्योंकि अब उन्हें...

दुनिया भर में केले की खेती करने वाले 50% किसान करते हैं इस किस्म की खेती; खासियतें जानिए हैं

आज, ग्रैंड नैन को कई उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है, जिसमें लैटिन अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया, भारत...