स्कूलों में बढ़ रहे यौन शोषण के मामलों से घबराए अभिभावक 

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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश के स्कूलों में रेप के बढ़ रहे मामलों ने अभिभावकों की नींद उड़ा दी है। शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूलों में भी बच्चे अब महफूज नहीं रह गए हैं, जिसके कारण अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने में डरने लगे हैं।

शुक्रवार को आशियाना स्थित राइम एंड रिदम स्कूल में संगीत के शिक्षक द्वारा तीन वर्ष की छात्रा के साथ रेप का मामला सामने आया। घटना बीते बुधवार की है जब बच्ची की हालत बिगड़ने के बाद शिक्षक पवन गुप्ता के द्वारा रेप करने की बात सामने आई। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी संगीत शिक्षक पवन गुप्ता को पोक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया।

अपनी बच्ची को प्राइवेट स्कूल की कक्षा दो में पढ़ाने वाली की माँ संगीता (42 वर्ष) कहती हैं, “अब तो बच्ची को स्कूल भेजने में बहुत डर लगता है। हर दिन कोई न कोई घटना सामने आ रही है। रिक्शेवाला जब बच्चों को घर से ले जाता है और जब तक सही सलामत छोड़ने नहीं आ जाता तब तक हजार चिंताएं घेरे रहती हैं। घर के बाहर की तो बात ही छोड़ दो स्कूल में जहां बच्चे सबसे ज्यादा महफूज हुआ करते थे। अब वहां पर भेजने में भी बहुत डर रहता है।”

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यह केस पहला नहीं है, पिछले महीने 12 मई को लखनऊ स्थित पीजीआई थाना क्षेत्र के वृंदावन कालोनी स्थित एलन हाउस स्कूल में पढ़ने वाली पांच वर्ष की नर्सरी की छात्रा से गैंगरेप का मामला सामने आया था। बच्ची के साथ पिछले सात महीने से स्कूल के अंदर ही शर्मनाक वारदात अंजाम दी जा रही थी। छुट्टी के बाद वैन चालक जुबैर बच्ची को फुसलाकर स्कूल के ही एक कमरे में ले जाता था और दुष्कर्म करता था और उससे पहले बच्ची को स्कूल लाने-ले जाने वाला ई-रिक्शा चालक भी उसे डरा-धमकाकर दुष्कर्म कर रहा था।

बीते वर्ष सात जनवरी को कानपुर देहात जिले के मंगलपुर में बच्ची के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था। स्कूल जा रही 16 वर्ष की नाबालिग के साथ कई लड़कों ने गैंगरेप किया था। इसके बाद डरे हुए गाँव वालों ने लगभग 50 बच्चियों का स्कूल जाना बंद करवा दिया था। यही नहीं प्रदेश के उन्नाव जिले के एक स्कूल में वर्ष 2015 में 15 मई को आठ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म मामला सामने आया था।

हाईस्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची की माँ नीलम निगम (43 वर्ष) कहती हैं, “कुछ साल पहले बच्ची को स्कूल भेजने में इतना डर नहीं लगता था, जितना पिछले कुछ वर्षों में लगने लगा है। बच्ची जब तक घर नहीं आ जाती स्कूल से डर बना रहता है। घर से कहीं बाहर भेजना हो तो साथ जाया जा सकता है, किसी को साथ भेजा जा सकता है, लेकिन स्कूल में छह-सात घंटे तक कैसे बैठा सा सकता है।”

हर चौथा स्कूली बच्चा यौन शोषण का शिकार

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट 2016 के मुताबिक, देश में हर चौथा स्कूली बच्चा यौन शोषण का शिकार हो रहा है। हर ढाई घंटे के दरम्यान एक स्कूली बच्ची को हवस का शिकार बनाया जा रहा है। यूनिसेफ की रिपोर्ट से भी सामने आ चुका है कि 65 फीसदी बच्चे स्कूलों में यौन शोषण के शिकार हो रहे हैं। इनमें बारह वर्ष से कम उम्र के लगभग 41.17 फीसदी, तेरह से चौदह साल के 25.73 फीसदी और 15 से 18 साल के 33.10 फीसदी बच्चे शामिल हैं।

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मनोरोग चिकित्सक डॉ. शाजिया सिद्दीकी ने बताया बच्चों को अपना शिकार बनाने वाले मनोरोगी होते हैं। बड़े लोगों के साथ कुछ कर पाने में असफल लोग अपनी अतृप्त इच्छा पूरी करने के लिए बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं। ऐसे लोग केवल स्कूलों में ही नहीं बल्कि हर विभाग में मिल सकते हैं। पहले भी ऐसे लोग थे समाज में लेकिन सामने नहीं आ पाते थे, क्योंकि लोग ऐसे मामलों को दबा देते थे। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है।

बेसिक शिक्षा विभाग सहायक मंडल निदेशक महेन्द्र सिंह राणा ने बताया परिषदीय स्कूलों में हम लोग पूरी तरह से इस बात पर नजर रखते हैं कि शिक्षक, स्कूलों का स्टाफ और बच्चों के बीच किस तरह के संबंध हैं और क्या चल रहा है। हमारे स्कूलों में अधिकतर महिला स्टॉफ है और जहां पुरुष स्टाफ है वहां बच्चों पर ध्यान दिया जाता है। बाकी स्कूलों में भी बच्चों और स्कूल के स्टाफ पर निगाह रखना जरूरी है।

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