ओपी सिंह परिहार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
इलाहाबाद। आपराधिक घटनाओं में वृद्धि और पुलिस की लचर व्यवस्था की वजह से शहर में सुरक्षा का कारोबार बढ़ता जा रहा है। दिनदहाड़े लूट और हत्या की घटनाएं तो आये दिन घटित हो रही हैं, लेकिन अपराधियों की गिरफ्तारी और घटना के खुलासे करने में नाकाम पुलिस अपराधों को रोकने में अक्षम साबित हो रही है। व्यापारी, डॉक्टर, कारोबारी और शहर के बड़े मॉल्स में सुरक्षा गार्ड और सुरक्षा उपकरणों की मांग बढ़ती जा रही है। इलाहाबाद में 100 से ज्यादा सिक्योरिटी एजेंसिया सक्रिय हैं।
सलोरी निवासी विशाल ओझा (39 वर्ष) का कहना है, “यह प्रशासन की नाकामी और सरकार की नाकामियों को दर्शाता है। पुलिस की नाकामी की वजह से ही हम प्राइवेट सुरक्षागार्ड रखने को मजबूर हैं।” वहीं रसूलाबाद निवासी जनरल स्टोर संचालक इमरान यूसुफी (40 वर्ष) का मानना है, “पुलिस की मुस्तैदी मज़बूत होती तो प्राइवेट सुरक्षा गार्ड की क्यों जरूरत होती। इसके लिए तो पुलिस के पास होमगार्ड भी होते है।”
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पुलिस अपना काम भलीभांति कर रही है यदि लोग सुरक्षा की द़ृष्टिकोण से प्राइवेट सुरक्षा गार्ड लगा रहे हैं तो यह अच्छी बात है।
सिद्धार्थशंकर मीणा, एसपी सिटी, इलाहाबाद
वहीं अपराधियो की सक्रियता और पुलिस की निष्क्रियता की वजह से लोग अपने घरों से लेकर व्यापारिक प्रतिष्ठान में तमाम तरह के सुरक्षा उपकरण लगाने लगे हैं। जिनमें सबसे अधिक मांग सीसीटीवी कैमरे की है। व्यापारी वर्ग के बीच सबसे अधिक सेंसर युक्त सीसीटीवी कैमरे की मांग बढ़ी है। बड़े कारोबारी ही नहीं बल्कि छोटे व्यापारी भी अपने दुकानों में कैमरे लगवा रहे हैं।
चौक में झोले और प्लास्टिक थैली के थोक व्यापारी रवि बंसल (36 वर्ष) का कहना है,“ घटना घटित होने के बाद पहुंची पुलिस अपने सूत्रों और तरीकों पर बाद में भरोसा करती है। सबसे पहले आस पास लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगालती है ऐसे में इसके बाजार और भरोसे का बढ़ना स्वभाविक है।”
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‘कोर्ट की सुनवाई में भी सीसीटीवी कारगर’
वहीं उच्च न्यायालय के युवा अधिवक्ता जय प्रकाश सिंह (38 वर्ष) का कहना है,“ सीसीटीवी कैमरे से निकला साक्ष्य कोर्ट की सुनवाई में भी कारगर साबित होता है और पुलिस के काम को आसान बना देता है। इस वजह से पुलिस बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों के अलावा बैंको और सामुहिक स्थानों पर कैमरे लगवाने पर जोर दे रही है।” सीसीटीवी कैमरे सहित अन्य सुरक्षा उपकरणों के व्यापारी शिवशंकर सिंह(45वर्ष) के मुताबिक “40 लाख रुपए का हर महीने टर्न ओवर है। ऐसा लोगो के जागरूकता के बाद हुआ है।”