योगी के राज में अस्पतालों का रियलिटी चेक : कहीं डॉक्टर गायब तो कहीं टॉर्च की रोशनी में बन रहे पर्चे

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योगी के राज में अस्पतालों का रियलिटी चेक : कहीं डॉक्टर गायब तो कहीं टॉर्च की रोशनी में बन रहे पर्चेरायबरेली के लालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुबह साढ़े नौ बजे तक नहीं पहुंचे डॉक्टर। 

स्वयं प्रोजेक्ट टीम

लखनऊ। जहां एक ओर योगी सरकार ने गाँव के अंतिम व्यक्ति तक बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर लगता है सरकार के आदेशों को मानने को तैयार नहीं हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य विभाग के प्रेजेन्टेशन के बाद लोगों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए कई निर्देश जारी किए थे। इनका ज़मीन पर कैसा असर है इसे जानने के लिए गाँव कनेक्शन ने 20 जिलों के अलग-अलग सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मंगलवार सुबह पहुंचकर हकीकत जानी। तो कहीं डॉक्टर गायब मिले, तो कहीं दवाईयां ही नहीं। कुछ अस्पतालों में तो सफाईकर्मी वर्षों से गायब हैं।

लखनऊ से 25 किमी दूर काकोरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में आंख दिखाने आए अनिल कुमार (41 वर्ष) सुबह आठ बजे से इधर उधर भटकते रहे, लेकिन डॉक्टर साहब नहीं मिले। अनिल कुमार (41 वर्ष) बताते हैं, “हम सुबह से यहां इलाज कराने आए हैं, जब से आए हैं तब से डॉक्टर का कुछ अता पता ही नहीं है। सुबह आठ बजे से बैठे हैं, लेकिन दस बज रहे हैं डॉक्टर अक अभी तक कुछ पता नहीं हैं।”

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उधर, चिकित्सा अधीक्षिका के ठीक सामने के कक्ष में कुछ डॉक्टर मोबाइल की टॉर्च से पर्चा बना रहे थे और मरीजों को देख रहे थे। नाम न बताने की शर्त पर बताया, “पिछले चार-पांच दिनों से जनरेटर खराब है और लाइट की भी दिक्कत है। ऐसे में अब क्या करें कोई साधन नहीं है। जो मरीज आता है, उसका इलाज करना ही होगा।”रायबरेली के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पश्चिम गाँव ब्लाक हरचंदपुर में काफ़ी दिनों तक कोई डॉक्टर ही नहीं रहा। छह महीने बाद बड़ी मुश्किल से जब तैनाती हुई तो एक सप्ताह बाद ही जिला अस्पताल से संबद्ध कर दिया गया है।

दस बजे तक भी नहीं पहुंचे अस्पताल

कन्नौज के इंदरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. जयचंद्र सुबह दस बजे तक अस्पताल नहीं पहुंचे थे। फार्मासिस्ट आरपी यादव ने बताया, ‘‘डॉ. साहब पोस्टमार्टम के लिए गए हैं। दो दिन से नहीं हैं।” अस्पताल में फैली गंदगी के बारें में जब फार्मासिस्ट से पुछा गया तो उसने बताया, “सफाईकर्मी अस्पताल में एक साल से नहीं है, इसलिए काफी गंदगी है।”

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महिला डॉक्टरों ने सुविधा के अनुसार तय कर रखा है समय

मेरठ के हस्तिनापुर विधानसभा क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर समय से नहीं पहुंचे। इनकी ड्यूटी का समय सुबह आठ बजे से रहता है, लेकिन कुछ डॉक्टर दो से तीन घंटे बाद अस्पताल पहुंचते हैं। खासतौर से महिला डॉक्टरों ने तो डयूटी करने का समय अपनी सुविधा के मुताबिक तय कर रखा है। वहीं, खेड़ीकला गाँव निवासी सोनिया देवी ने कहा, “ हम 8 बजे से मैडम का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन वह अभी तक नहीं आई।”

रिपोर्टिंग टीम: रायबरेली से डिम्पी तिवारी, मेरठ में मोहित कुमार सैनी, इलाहाबाद से ओपी सिंह परिहार, कानपुर से राजीव शुक्ला, एटा से आमिल, वाराणसी से विनोद कुमार, सिद्धार्थनगर से दीनानाथ, कन्नौज से विवेक राजपूत और रवींद्र सिंह।

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