नफीस सिद्दीकी /स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
औरैया। प्रदेश सरकार हर गरीब को आवास मुहैया कराने की योजना चला रही है। जबकि जनता के प्रतिनिधि ऐसे हैं कि बगैर पैसे लिए आवास विहीन को आवास नहीं दे रहे है। आवास के नाम पर प्रधान पति द्वारा मांगे गये 30 हजार रूपए की शिकायत एक गरीब ने जिलाधिकारी से की है।
जिला मुख्यालय से 18 किमी दूर पश्चिम दिशा में बसे अछल्दा ब्लॉक के गाँव भैंसोल निवासी शब्बीर खान अपने परिवार के साथ कच्चे मकान में रहते हैं। उसके पास एक भी बीघा जमीन नहीं है ,भूमिहीन होने के बावजूद और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे शब्बीर को एक पक्की छत की दरकार की है।
कच्चे मकान से पक्के मकान में रहने का हौंसला लिए शब्बीर ने प्रधान सीता देवी के पति से आवास दिलाने के लिए कहा। आवास के नाम पर प्रधान ने शब्बीर से 30 हजार रूपए की मांग करते हुए कहा कि बगैर रिश्वत के कोई काम नहीं होता है। रिश्वत तो तुम्हें देनी ही पड़ेगी। हमें उच्च अधिकारियों को देनी पड़ती है। मजदूरी कर परिवार का पेट पालने वाले शब्बीर के पास 30 हजार रूपए की व्यवस्था नहीं जो प्रधान को दे सके। वह जिलाधिकारी जय प्रकाश सगर के पास पहुंचा और आवास दिलाने के लिए जांच-पड़ताल की जाने की गुहार लगाई है।
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इस मामले के बारे में डीएम जय प्रकाश सगर कहते हैं, “प्रधान पति 30 हजार रुपए आवास के नाम पर मांग रहा है, अगर ऐसा है, तो हमने वीडीओ अछल्दा को जांच कर आवश्यक कार्रवाई किए जाने का आदेश दिया है।”
घर के बाहर लगा हैंडपंप भी खराब
शब्बीर के घर के बाहर एक सरकारी हैंडपंप लगा हुआ है जो काफी दिनों से खराब पड़ा हुआ है। प्रधान से सही कराने के लिए कहा तो प्रधान ने सही कराने से इंकार कर दिया। हैंडपंप खराब होने की वजह से पीने का पानी भरने के लिए काफी दूर जाना पडता है। इसके अलावा बेस लाईन का सर्वे हो गया है। फिर भी शब्बीर को ओडीएफ के तहत प्रधान ने शौंचालय तक नहीं दिया है। जिससे वह और उसका पूरा परिवार खुले में शौंच करने को मजबूर है।
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