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इस तरह रोका जा सकता है जापानी बुखार का संक्रमण

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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। जापानी मस्तिष्क ज्वर यानी जापानी बुखार एक घातक संक्रामक बीमारी है जो फ्लैविवाइरस के संक्रमण से होती है। सर्वप्रथम 1871 में इस बीमारी का जापान में पता चला था। इसलिए इसका नाम ‘‘जैपनीज इन्सेफ्लाइटिस’’ पड़ा है।

जापानी मस्तिष्क ज्वर एक ऐसी बीमारी है जो गर्म स्थानों पर तेजी से फैलती है। इससे विश्व में प्रतिवर्ष 68,000 लोग संक्रमित होते हैं जिनमें से 20,400 लोगों की मृत्यु हो जाती है। एशिया महाद्वीप के कुल 14 देश इस बीमारी से प्रभावित हैं जिनमें भारत भी शामिल है। उत्तर प्रदेश के 39 जिलों में इस बीमारी की उपस्थिति दर्ज की गयी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में जापानी मस्तिष्क ज्वर पहली बार 1978 में प्रकाश में आया था जब 528 रोगियों की इस बीमारी से मृत्यु हुई थी। पिछले एक दशक से पूर्वी उत्तर प्रदेश में जापानी मस्तिष्क ज्वर के प्रकोप में निरन्तर बढ़ोत्तरी हुई है।

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तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है और प्रत्येक वर्ष बीमारी से ग्रसित बच्चों की बड़े पैमाने पर मौत हो रही है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में चिकित्सकीय निरीक्षण बताते हैं कि कुल संक्रमित लोगों में बच्चों की संख्या 90 प्रतिशत से ज्यादा होती है। अतः वयस्कों की तुलना में बच्चे इस बीमारी के ज्यादा शिकार होते हैं। कुल रोगी बच्चों में 82 प्रतिशत बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों से होते हैं। कुल रोगी बच्चों में 74 प्रतिशत बच्चों के माता-पिता समाज के बेहद गरीब वर्ग से होते हैं जिनकी मासिक आय मात्र 1000 से 2000 रुपये होती है। इसलिए उचित इलाज के अभाव में ज्यादातर बच्चों की मौत हो जाती है।

यूपी में 6370 बच्चों की हो चुकी है मौत

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूर्वी उत्तर प्रदेश में 2005 में 1500, 2006 में 528, 2007 में 545, 2008 में 537, 2009 में 556, 2010 में 541, 2011 में 554, 2012 में 533 और 2013 में 576 बच्चों की इस बीमारी से मौत हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2005 से अक्टूबर 2014 के बीच पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुल 6370 बच्चों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। आंकडों के अनुसार 1978 से लेकर अबतक यहां पर 39100 इंसेफेलाइटिस के मरीज भर्ती हुए ओर इसमें से 9286 बच्चों की मौत हो गई।

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कैसे करें बचाव

दिमागी बुखार का टीका लगवायें। मच्छरदानी एवं क्वायल का प्रयोग कर मच्छरों से बचें। सायंकाल पूरी आस्तीन की कमीज या वस्त्र पहनें। सुअर पालन मानव आबादी से दूर रखें। भोजन पूर्व, शौच के बाद एवं पशुओं के संपर्क में आने के बाद हाथ अवश्य धो लें। हैंडपंप के आस पास जल जमाव न होने दें।

प्रदेश सरकार ने उठाया कदम

डॉ. आरएन सिंह ने बताया, “मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश ने इस बीमारी से बचने के जेई यानि जापानी इंसेफेलाइटिस एक्यूप इंसेफ्लोपैथी सिंड्रोम (एईएस) बच्चों व किशोरों को बचाने के लिए 25 मई से टीकाकरण अभियान शुरू किया है।इस टीकाकरण से इस बीमारी को मिटाया जा सकता है।”

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