सरकारी रुचि के आभाव में यूपी से दूर हो रहीं निजी सोलर कंपनियां  

सौर ऊर्जा

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश में सौर ऊर्जा संबंधी प्रोजेक्ट और मेगावाट क्षमता के प्लान्ट लगाने में प्रदेश सरकार की कम होती रुचि के कारण निजी सोलर कंपनियां अब प्रदेश से दूर हो रही हैं।

उत्तर प्रदेश में कम होती जा रही निजी सोलर कंपनियों की रुचि के बारे में गुजरात, भोपाल सहित उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में काम कर रही सौर ऊर्जा आधारित कंपनी शिवम फोटोवोल्टिक प्राइवेट लिमिटेड के व्यापार अधिकारी उदय बताते हैं, “पिछले दो वर्षों की बात करें, तो यूपी में एक भी बड़ा सोलर प्रोजेक्ट नहीं शुरू हो सका है। यूपी में सोलर मैकेनिकों की भी बहुत कमी है। इसलिए जो प्रोजेक्ट शुरू भी किये गए, उनमें से अधिकतर बंद पड़े हैं।”

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भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 2027 तक देश में 275 गीगाबाइट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने राजस्थान के साथ साथ उत्तरप्रदेश व उन्य राज्यों में बड़े स्तर पर सौर ऊर्जा के विकास के लिए राज्य सरकारों को लक्ष्य सौंप दिए गए हैं। यह लक्ष्य सरकारी विभाग और निजी सोलर कंपनियों की सहभागिता से पूरे किए जाएंगे।

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प्रदेश में सौर ऊर्जा के विस्तार एवं प्रचार प्रसार का काम कर रही नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण, उत्तरप्रदेश (यूपीनेडा) की निदेशक संगीता सिंह ने बताया, “प्रदेश में सोलर पॉवर पोलिसी-2013 के अंतर्गत लखनऊ, सैफई, झांसी और बुंदेलखंड में हम कई निजी कंपनियों की मदद से बड़े स्तर पर काम कर रहे हैं। हाल ही हमने अपनी नई कार्ययोजनाओं को लेकर शासन के साथ बैठक की है।जल्द ही नए प्रोजेक्टों पर काम शुरू किया जाएगा।”

ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार के मुताबिक पिछले दो वर्षों में राजस्थान सरकार ने सौर ऊर्जा टैरिफ दरों में जबरदस्त गिरावट की है।पिछले दो वर्षों में राजस्थान सरकार ने गलभग 25,000 हज़ार मेगावाट की क्षमता वाले सोलर पार्क विकसित करने के लिए 40 से अधिक निजी कंपनियों के साथ समझौते किए हैं।

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उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर सौर ऊर्जा क्षेत्र में काम कर रही निजी कंपनी गोल्डी ग्रीन के उपमहाप्रबंधक विकास आनंद बताते हैं, “यूपी में अब मेगावाट क्षमता के प्लांट पर सरकार टेंडर कम निकालती है।इसी का नतीजा है कि आज राजस्थान 3,000 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है, वहीं यूपी में 35 से 40 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा होती है। टेंडर कम होने की वजह से प्राइवेट कंपनियों के लिए राजस्थान पहली पसंद हो चुकी है।”

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