सर्दियों में अपने पशुओं को लाल पानी बीमारी से बचाएं

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सर्दियों में अपने पशुओं को लाल पानी बीमारी से बचाएंफोटो

सर्दियों में पशुओं को खूनी पेशाब होने की बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि ज्यादातर पशु सर्दियों में ब्याते हैं। इस बीमारी को हिमोग्लोबिन यूरिया, लाल पानी या हाइपोफोसपेटिमिया भी कहते हैं। यह बीमारी ज्यादातर दूध देने वाली गायों या भैंसों में ही होती है।

बीमारी बढ़ने पर पशु की हो जाती है मौत

यह बीमारी पशुओं के ब्याने के दो से चार सप्ताह बाद होती है। इस बीमारी में खून की नलियों में बहने वाला खून टूट जाता है और नलियों में टूटा हुआ खून पेशाब में हिमोग्लोबिन के रूप में बाहर आता है। इसीलिए पशुओं को खूनी पेशाब होने लगती है। इससे कभी-कभी पशुओं की मृत्यु भी हो जाती है।

लगवाना चाहिए बिरेनिल इंजेक्शन

इस बीमारी में पशुओं को बिरेनिल इंजेक्शन लगवाना चाहिए। यह इंजेक्शन पशु की नस में लगाया जाता है इसलिए पशुपालक इसे खुद से न लगाकर किसी जानकार डॉक्टर से लगवाए।

यह है कारण

सर्दियों के दिनों में पशुओं को गोभी, शलगम, सरसों, राई घास खिलाई जाती है। ये घास पशुओं में फासफोरस की कमी कर देती हैं। जबकि फासफोरस फोसफोलिपिड के रूप में रक्त कणिका की झिल्ली बनाता है। झिल्ली में बदलाव होने की वजह से जब यह खून नलियों में दौड़ता है तो रक्त कणिकाएं टूट जाती हैं। इस प्रकार पशुओं में खून की कमी हो जाती है। इसके बाद पशुओं में ऑक्सीजन की कमी होने से सांस लेने में दिक्कत आती है। यहां तक की पशुओं का भोजन भी सभी कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता। जमीन में अत्यधिक खाद का प्रयोग पेड़-पौधो में फासफोरस की कमी कर देता है। जब पशु उन्हें खाता है तो फासफोरस की पूर्ति नहीं हो पाती। इसके अलावा ज्यादा दूध देने वाले पशुओं में फासफोरस की मात्रा भी दूध में ज्यादा निकलती है।

पशुओं में इस रोग के लक्षण

  1. पशु सबसे पहले चारा खाना बंद कर देते हैं।
  2. पशु की पेशाब का रंग कॉफी के रंग जैसा हो जाता है।
  3. पशु का तापमान कभी सामान्य, कभी सामान्य से कम तो कभी सामान्य से ज्यादा हो जाता है।
  4. पशु सुस्त और कमजोर हो जाता है।
  5. खून की कमी के कारण पशु की सांसें जोर-जोर से चलने लगती हैं।
  6. गोबर भी सख्त हो जाता है

ऐसे करें बचाव

  1. पशुओं को नदियों और नहरों का पानी न पिलाए। (फैक्ट्रियों से निकलने वाला पानी न पीने दें। )
  2. चारे में पौष्टिक आहार का प्रयोग करना चाहिए, ताकि पशुओं में कॉपर की कमी न हो।
  3. इस दौरान पशु को सर्दी से जरुर बचाना चाहिए।
  4. पशुओं में लक्षण दिखते ही पास के पशुचिकित्सक से संपर्क करें।

(ओपिनियन पीस: डॉ. वीके सिंह, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश)

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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