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दाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए खुलेंगे सीड हब

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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। भारत में उन्नत बीजों के संरक्षण और उनके विकास के लिए केंद्र सरकार ने भारत के प्रमुख दलहन उत्पादन करने वाले राज्यों में सीड हब स्थापित कर रही है। इन केंद्रों की मदद से जहां एक तरफ राज्यों में किसानों को खेती के लिए उन्नत बीज उप्लब्ध होंगे, वहीं तेज़ी से बढ़ रहे दलहन के दामों पर भी काबू पाया जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश में स्थापित किए गए सीड हब के बारे में भारतीय दलहन अनुसन्धान संस्थान के इंचार्ज, सीड हब डॉ. पीके कटियार बताते हैं, “देश में मौजूदा समय में दलहनी फसलों का उत्पादन 160 लाख टन से अधिक है। इसे बढ़ाकर 240 लाख टन किया जाना है, इसके लिए देश में 150 सीड हब खोले जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से तीन स्थानों (कानपुर, फैज़ाबाद और चित्रकूट)में सीड हब स्थापित किए जा रहे हैं।’’

देश के प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, परिषद के संस्थानों और कृषि वैज्ञानिक केन्द्रों में सीड-हब खोले जा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष 1.50 लाख कुंतल अतिरिक्त बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इस वर्ष सामान्य मानसून के कारण किसानों को दालों के बंपर उत्पादन की उम्मीद हैं, ऐसे में सीड हब की मदद से किसानों को मौसम आधारित उन्नत दलहनी फसलों के बीज मिल सकेंगे। इससे अलावा दालों के बढ़ते बाज़ार भाव को भी सीड हब द्वारा आसानी से नियंत्रित किया जा सकेगा।

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दालों की महंगाई को रोकने में होंगे मददगार

सीड हब के खुलने से दालों के बढ़ते दामों पर नियंत्रण मिलने की बात कहते हुए नरेंद्र देव कृषि विश्व विद्यालय, फैज़ाबाद के क्रॉप फिज़ियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एएच खान बताते हैं,’’ सीड हब की मदद से यूपी में दालों की ऐसी उन्नत किस्मों को विकसित किया जा सकेगा,जिनकी खेती मुख्यरूप से दूसरे प्रदेशों (कर्नाटक, मध्यप्रदेश) में होती है। इससे प्रदेश में दालों की आपूर्ति में होने वाली परेशानी कम होगी और बाज़ारों में दाम भी नहीं उछलेंगे।’’

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विदेशों से करते हैं आयात

भारतीय दलहन अनुसन्धान संस्थान (आईआईपीआर) की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में दाल आपूर्ति के लिए विदेशों से पांच लाख टन दालों का आयात किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से तंजानिया, आस्ट्रेलिया, म्यांमार और कनाडा जैसे देशों से आयात होता है। विदेशों से चना, मटर, उरद, मूंग व अरहर, दालें आयातित की जाती हैं। देश में प्रतिवर्ष दाल की मांग 220 लाख टन है।

भारतीय दलहन अनुसन्धान संस्थान के सीड हब इंचार्ज डॉ. पीके कटियार ने बताया कि सीड हब खोले जाने से प्रदेश में बड़े स्तर पर दाल उत्पादन करने वाले जिलों में किसानों को दालों की खेती की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रत्येक सीड हब में एक हजार कुंतल बीज का उत्पादन व संरक्षण किया जाएगा। इससे प्रदेश में दलहनी फसलों का रकबा भी बढ़ेगा और महंगाई भी कम होगी।

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