स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। बाल भिक्षावृत्ति, बाल नशाखोरी और बाल शोषण के विरुद्ध लगातार संघर्ष कर रही स्माइल रोटी बैंक ट्रस्ट की टीम द्वारा बाल भिक्षावृत्ति के खिलाफ मुहिम छेड़ते हुए साइकिल यात्रा निकाली गई। यात्रा 30 सितंबर को गोरखपुर से प्रस्थान की और तीन अक्टूबर को लखनऊ पहुंची। इस दौरान यात्रा का जगह-जगह जोरदार तरीके से स्वागत किया गया।
स्माइल रोटी बैंक ट्रस्ट के मुख्य सचेतक आजाद पांडेय के नेतृत्व में यात्रा निकाली गई। यात्रा में 30 लोगों ने प्रतिभाग किया। तिरंगे और बाल भिक्षावृत्ति विरोधी तख्तियों के साथ साइकिल यात्रा गोरखपुर से शुरू हुई और पूरे उत्साह के साथ लखनऊ पहुंची।
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इस अवसर पर स्माइल रोटी बैंक ट्रस्ट के मुख्य सचेतक आजाद पांडेय ने बताया,“ गोरखपुर से शुरू हुई इस यात्रा का उद्देश्य बाल भिक्षावृत्ति के सामाजिक कलंक को देश से मिटाना है। बाल भिक्षाटन एक अभिशाप है। इसके खिलाफ जंग लड़ने की जरुरत है। रेलवे स्टेशन, मंदिर के बाहर और सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने वाले बच्चों को उनके घर तक और शिक्षित करना स्माइल रोटी बैंक ट्रस्ट का उददेश्य है।”
वहीं यात्रा में शामिल विख्यात समाजसेवी मंगेश झा ने बताया,“ झारखंड जैसे प्रदेश में जहां आदिवासियों की जनसंख्या अधिक है और गरीबी बहुत अधिक है। वहां बाल मजदूरी और बाल भिक्षाटन जैसी कुप्रथाएं एक चुनौती है। इसका सामना सिर्फ जनजागरण से ही किया जा सकता है।”
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यात्रा में शामिल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के असिस्टेंट कमांडेंट सर्वेश त्रिपाठी ने बताया,“ बाल भिक्षाटन अभिशाप है। हमारे देश के हजारों बच्चे युवा होने से पहले ही भिक्षावृत्ति के दलदल में फंस जाते हैं। हम सभी के जनजागरुकता से इन कुप्रथाओं पर अंकुश लग सकता है।”
युवाओं को आगे अाना होगा
यात्रा की एक मात्र महिला वालेंटियर शुभांगी द्विवेदी काशी विद्यापीठ से एलएलएम कर रही हैं। शुभांगी का कहना है,“ देश में कई तरह की बुराइयां घर कर चुकी हैं। हम युवाओं को इन बुराइयों को जड़ से खत्म करने के लिए आगे आना होगा। कुछ लोग गिरोह बनाकर मसूम बच्चों से भीख मंगवाते हैं। ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें सख्त से सख्त सजा देने की जरुरत है। ”
रास्ते भर लोगों को किया प्रेरित
इस यात्रा में प्रियेश, राहुल राय, विजय, अभिषेक, शिव प्रसाद, अजय, जयहिंद कई अन्या शामिल रहे। पूरी यात्रा के दौरान इन सभी में काफी उत्साह देखने को मिला। शिव प्रसाद से अपना अनुभव साझा करते हुए बताया,“ 275 किलोमीटर करी यात्रा कब खत्म हो गई कुछ पता ही नहीं चला। हम सभी साथियों ने इस यात्रा का काफी आनंद लिया। रास्ते भर लोगों को भिक्षावृत्ति के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित करते रहे।”
इस बुराई से मिलकर लड़ना होगा
वहीं राम मनोहर लोहिया में फिजियोथेरेपी से इंटर्न कर रहे देवेज्य श्रीवास्तव का कहना है,“ पूरे रास्ते हम सभी साथियों ने लोगों को बाल भिक्षावृति से लड़ने के लिए लोगों को जागरूक करते रहे। हमारा देश युवाओं का देश है। इस देश की तक्दीर और तस्वीर युवा ही बदल सकते हैं।”
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क्या है स्माइल रोटी बैँक
रेलवे स्टेशन, मंदिर और सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगने वाले बच्चों को उनके घर तक पहुंचाने और उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के लिए इस संस्था की नींव रखी गई थी। संस्था के लोग रोजाना शाम को ऐसे बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं। उन्हें एक वक्त का खाना मुहैया कराते हैं। भीख मांगने वाले ज्यादातर बच्चे नशाखोरी के चंगुल में फंस जाते हैं। संस्था के सदस्य उन्हें बुरी आदतों से मुक्त कराने में उनकी मदद करते हैं।