सुनीता गर्ग/स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
मवाना (मेरठ)। सुबह-शाम हल्की सर्दी के मौसम का आगाज हो चुका है। वातावरण के साथ गुलाबी ठंड की धुंध साफ दिखाई दे रही है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो सुबह के समय चारों तरफ छा जाने वाला कोहरा नहीं है, बल्कि वह धुंध है, जो प्रदूषण के कारण आसमान में जाकर धुंध का रूप ले रही है। चिकित्सकों के अनुसार यह स्मॉग हार्ट अटैक, अस्थमा, डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी घातक साबित हो सकता है।
क्या है स्मॉग
दिवाली के बाद दिन प्रतिदिन मौसम नमी भरा होता जा रहा है। वातावरण में नमी होने के कारण वाहनों से निकले धुंए की परत सी बन जाती है। नमी के कारण वाहनों से निकलने वाला धुंआ उंचा नहीं उठ पाता और धुंध की शक्ल ले लेता है। इस मौसम में धुंआ प्रदूषण और कोहरा मिलकर स्मॉग बना रहे हैं।
मौसम वैज्ञानिक अशोक गुप्ता कहते हैं, “इस बार मौसम का चक्र थोड़ा अटपटा रहा है। इस बार बरसात शुरू में न होकर सितंबर माह में अच्छी हुई है। साथ ही सर्दी भी सुबह और शाम में थोड़ी-बहुत पड़ रही है। इसलिए इस मौसम में कोहरे का प्रकोप भी अच्छा रहने वाला है।”
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ये सावधानियां बरतने का मौसम है, अस्थमा और हार्ट मरीजों को खास तौर पर ध्यान देना होगा। वहीं बच्चों और बुजर्गां को भी सुबह के स्मॉग से बचना बहुत जरूरी है।
डॉ. अजीत चौधरी, सीएमएस मेडिकल अस्पताल
ये पार्टिकल्स हैं घातक
प्रदूशण नियंत्रण विभाग के अनुसार धुंए में सस्पेंडेड पार्टीकल मैटर, रेस्पिरेबल सस्पेंडेड पार्टीकल मैटर, सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड, बेंजीन, कार्बन डाईआक्साइड, व कार्बन मोनोआक्साइड भी शामिल होते हैं। सस्पेंडीड पार्टीकल मैटर हवा में मौजूद वो तत्व हैं जो त्वचा से लेकर फेफड़ों तक के लिए घातक हैं।
एसपीएम व आरएसपीएम तत्व होने से हवा के निचले स्तर पर मौजूद होते हैं, लेकिन गैस मध्य व उपरी परत तक पहुंच जाती है। ये धुंध भरा मौसम हार्ट, अस्थमा मरीज, ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए इस मौसम में डॉक्टर की सलाह के साथ उचित सावधानी जरूर बरतें।
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क्या बरतें सावधानी
डॉ. तनुराज सिरोही के अनुसार-
- सांस की तकलीफ होने पर डॉक्टर्स से कंसल्ट करें और इलाज कराने से न कतराएं
- सबसे पहले डॉक्टर्स कुछ इनहेलर्स देते हैं, उनका इस्तेमाल करें, क्योंकि इनसे कई बार अस्थमा के आने वाले अटैक से बचा जा सकता है।
- घबराएं नहीं, क्योंकि इनसे मांसपेशियों पर दबाव बढता है और सांस लेने में ज्यादा तकलीफ होती है।
- मौसम के बदलने के साथ अपना पूरा ध्यान रखें
- सांस अंदर की तरफ लें और बाहर को सांस छोड़ते समय बीच में सांस न रोकें
- धूल, धूंए, व फॉग के मौसम में नाक पर रूमाल बांधे और जहां तक हो सके इनसे बचें
- घरेलू उपचार में टमाटर, गाजर, पत्तेदार सब्जियां, अस्थमा के अटैक को कम करती हैं
- हार्ट के मरीज ज्यादा सुबह न निकलें
पहली बार जब स्मॉग शुरू होता है तो गैस व प्रदूषक तत्व हवा के निचले स्तर यानी आम आदमी की पहुंच तक स्मॉग के साथ आ जाते हैं। ऐसे में प्रदूषक तत्व लोगों की आंख में संपर्क में आने से जलन पैदा करते हैं। कोहरा जब ज्यादा होता है तो हवा के उपरी स्तर पर मौजूद प्रदूषक तत्वों की उपस्थिति कम हो जाती है और स्थिति सामान्य हो जाती है।
डॉ. यू.पी. शाही, मौसम वैज्ञानिक
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