गाँवों में सौर संयंत्रों की ट्रेनिंग से रोजगार से जुड़ रहे युवा

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गाँवों में सौर संयंत्रों की ट्रेनिंग से रोजगार से जुड़ रहे युवाआरटीसी के नि:शुल्क प्रशिक्षण के दौरान सौर संयंत्रों की जानकारी लेते ग्रामीण युवा।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: संदीप गौतम

रायबरेली। गाँवों में यूपीनेडा के लगाए गए सोलर संयंत्रों के खराब हो जाने पर अब ग्रामीणों को विभागीय टेक्नीशियन का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा, बल्कि अब खुद ग्रामीण युवा अपने गाँव में सोलर संयंत्रों की मरम्मत कर सकेंगे।

ट्रेनिंग में युवाओं को मिल रही सही जानकारी

रायबरेली जिला मुख्यालय से 33 किमी. उत्तर दिशा में शिवगढ़ ब्लॉक के सिंहपुर गाँव के राजेश कुमार सिंह (26) यूपीनेडा द्वारा आयोजित कार्यशाला में ट्रेनिंग ले रहे हैं। ट्रेनिंग में वह सोलर पैनल और कुकर की मरम्मत जैसे काम करना सीख रहे हैं। राजेश बताते हैं,''सोलर संयंत्रों की मरम्मत की ट्रेनिंग हमें यूपीनेडा की आरटीसी कैंप चिनहट में मिली है। प्रशिक्षण में पैनल की मरम्मत के अलावा सोलर कनेक्शन करना भी सिखाया जा रहा है।''

युवाओं को नि:शुल्क आरटीसी प्रशिक्षण

गाँवों में बेहतर सौर ऊर्जा प्रदान करने और ग्रामीण युवाओं को इससे जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने के लिए उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (यूपीनेडा) हर वर्ष युवाओं को नि:शुल्क आरटीसी प्रशिक्षण दे रहा है। इस प्रशिक्षण में किसी भी ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित आईटीआई केंद्र से डिप्लोमा पास विद्यार्थी व कोई भी डिप्लोमा पास छात्र इस प्रशिक्षण का हिस्सा बन सकता है। ट्रेनिंग के बाद युवाओं को विभाग में मानदेय पर या निजी सोलर कंपनियों में काम दिया जाता है।

पिछले सत्र में जनपद में कई गाँवों से ट्रेनिंग के लिए आवेदन मिल चुके हैं। ट्रेनिंग खत्म होने के बाद हमारी कोशिश रहेगी कि हम इन्हें किसी न किसी निजी सोलर कंपनी में काम दिलवा सकें।
नरेंद्र सिंह, परियोजना अधिकारी, यूपीनेडा, रायबरेली

15,000 गाँवों में पहुंच चुकी है सौर ऊर्जा

अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग (नेडा) के प्रादेशिक सौर सर्वेक्षण 2013-14 के अनुसार, प्रदेश के कुल 96 हज़ार गाँवों में 15,000 गाँवों में सौर ऊर्जा की पहुंचाई जा चुकी है। ऐसे में ग्रामीण स्तर पर युवाओं को सौर संयंत्रों से जुड़ी ट्रैनिंग मुहैय्या करवाने से न सिर्फ गाँवों में लगे सौर संयंत्रों को बेहतर देखभाल मिल सकेगी, बल्कि युवाओं को कोई भी नए रोज़गार से जुडऩे के प्रति प्रोत्साहन मिल पाएगा।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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