स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। खरीफ प्याज़ की बुवाई के लिए जून-जुलाई का महीना सबसे असरदार माना जाता है। बीते दिनों प्रदेश में हुई छिटपुट बारिश ने खेतों में नमी बढ़ा दी है। ऐसे में यह समय खरीफ प्याज़ की खेती के लिए पूरी तरह से अनुकूल है।
मौजूदा मौसम का फायदा उठाकर खरीफ प्याज की नर्सरी तैयार करने की सलाह देते हुए चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर के प्रमुख वैज्ञानिक (बागवानी) पीएन कटियार बताते हैं, “भारत में उगाई जाने वाली बागवानी फसलों में प्याज सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसल है।
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खरीफ प्याज की फसल 40 से 50 दिन की होती है इसलिए अभी से ही प्याज की बुवाई शुरू कर दें ताकि जुलाई के मध्य में रोपाई का कार्य पूरा किया जा सके।’’
प्याज की फसल के लिए जलवायु न बहुत गर्म हो और न ही ठण्डी उपयुक्त मानी गई है। आमतौर पर सभी किस्म की भूमि में इसकी खेती की जाती है, लेकिन खेतों में उपजाऊ दोमट मिट्टी, जिसमे जीवांश खाद पर्याप्त मात्रा में हो व पानी की निकासी रखी जाए, प्याज की अच्छी पैदावार मिलती है।
वैश्विक प्याज उत्पादन में शामिल कृषिक्षेत्र के मामले में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर पर है, लेकिन अगर बाद की जाए कुल उत्पादन की तो भारत अभी भी चीन, अमेरीका, नीदरलैंड जैसे देशों से पिछड़ा हुआ है।
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हालांकि किसानों का यह मानना है कि पिछले वर्ष की तरह ही इस बार भी प्याज का बंपर उत्पादन होगा।कृषि मंत्रालय भारत सरकार के वर्ष 2016-17 के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष देश में 12 लाख हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई है, जबकि पिछले वर्ष देश में प्याज का रकबा 13.20 लाख हेक्टेयर था।
प्याज की खेती में सबसे अधिक ज़रूरी होती है खेत की सिंचाई, ऐसे में बुवाई या रोपाई के साथ व बुवाई के तीन-चार दिन बाद हल्की सिंचाई ज़रूर करनी चाहिए ताकि मिट्टी में नमी बनी रहें। अगर बारिश के दिन हैं ,तो सिंचाई की अवधी तीन से चार से बढ़ाकर 10 से 12 दिन पर सिंचाई करें।
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